स्मार्ट सिटी बरेली की सच्चाई: आधे घंटे की बारिश में ही ‘डूब’ गया विकास का सपना

🛑 स्मार्ट सिटी बरेली की सच्चाई: आधे घंटे की बारिश में ही ‘डूब’ गया विकास का सपना

बरेली।
“स्मार्ट सिटी” का तमगा पहनाए जाने के बावजूद बरेली हर साल की तरह इस बार भी महज़ आधे घंटे की बारिश में जलमग्न हो गया। शहर के कई इलाकों में घरों के अंदर तक गंदा, बदबूदार नाले का पानी भर गया, लोगों के बेड, फर्नीचर और घरेलू सामान तैरते नजर आए।

निचले इलाकों की हालत बदतर

पुराना शहर हो या कंकर टोला जैसा इलाका—हर ओर जलभराव ने लोगों की ज़िंदगी दूभर कर दी है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि इन इलाकों में जलनिकासी की कोई ठोस व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी। पुराने नाले को ‘उल्टा’ बनाकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया, जिससे आज हालत यह है कि बरसात के पानी को निकलने का कोई रास्ता ही नहीं है।

सवाल उठता है: जब निकासी नहीं, तो टैक्स किस बात का?
स्थानीय निवासी अब पूछ रहे हैं कि जब बरेली नगर निगम सालों से एक नाले और निकास की व्यवस्था तक नहीं कर पाया, तो हाउस टैक्स वसूलने का क्या अधिकार रखता है? न कोई सीवर लाइन, न कोई ड्रेनेज सिस्टम। नतीजा – बरसात के दौरान मल-मूत्र और डेरियों से बहता गोबर सड़कों और घरों में घुस जाता है।

संक्रमण का खतरा, अस्पताल भरे रहते हैं
हर साल मानसून के दौरान इलाके में डायरिया, हैजा, त्वचा रोग और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शहर के कई अस्पतालों में बरसात के पूरे मौसम में मरीजों की भीड़ उमड़ती है।

सिर्फ गली-मोहल्लों की नहीं, पॉश इलाकों की भी वही हालत
रामपुर गार्डन, राजेंद्र नगर जैसे ‘पॉश’ माने जाने वाले इलाके भी इस दुर्दशा से अछूते नहीं हैं। फर्क बस इतना है कि वहां मीडिया की नजरें कम जाती हैं।


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