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देश के मात्र 1% प्राइवेट अस्पताल ही ‘मान्यता’ प्राप्त, कैसे मिलेगी क्वॉलिटी हेल्थ सर्विसेज?

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक बड़ा सवाल यह है कि जब 70% हेल्थकेयर सेक्टर निजी हाथों में है, तो महज 1% प्राइवेट अस्पताल ही नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (NABH) से मान्यता प्राप्त क्यों हैं?

सख्त मानक और कम अस्पताल क्यों?

NABH के CEO हर्ष नाडकरनी के मुताबिक, भारत में सिर्फ 500 अस्पतालों को ही यह मान्यता मिली हुई है। वजह? 683 सख्त पैरामीटर्स जिनका पालन करना हर अस्पताल के लिए आसान नहीं। वहीं, एंट्री-लेवल मान्यता के लिए भी 150 मानक तय किए गए हैं। इस प्रक्रिया में तीन साल की वैधता होती है, जिसके बाद दोबारा रिन्युअल जरूरी होता है।

आयुष्मान भारत: मान्यता प्राप्त अस्पतालों को मिलेगा इंसेंटिव

भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत 8,000 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल जुड़े हुए हैं, जिसमें फोर्टिस, मेदान्ता, मैक्स जैसे बड़े नाम शामिल हैं। योजना के तहत मान्यता प्राप्त अस्पतालों को 15% अधिक भुगतान का प्रावधान है, जबकि बिना मान्यता वाले अस्पतालों को 10% इंसेंटिव दिया जाएगा। लेकिन अब भी सवाल वही है—क्वॉलिटी हेल्थकेयर कैसे मिलेगी?

बड़े अस्पताल, लेकिन सरकारी संस्थान पीछे

NABH की लिस्ट में दिल्ली के 50 अस्पताल शामिल हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी जैसे बड़े सरकारी अस्पताल मान्यता प्राप्त नहीं हैं। वहीं, गुजरात का सिर्फ एक सरकारी अस्पताल NABH से सर्टिफाइड है।

आयुष्मान भारत को चाहिए 1.6 लाख बेड, लेकिन कहां से आएंगे?

सरकार का लक्ष्य है कि योजना के तहत कम से कम 10 बेड वाले सभी निजी अस्पतालों को जोड़ा जाए। लेकिन समस्या यह है कि देश में 80,671 प्राइवेट अस्पताल हैं, जिनमें से सिर्फ 536 NABH से सर्टिफाइड हैं।

क्या कहता है डेटा?

  • देश में हर साल 16 लाख मौतें घटिया स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से होती हैं।
  • 70% हेल्थकेयर सेक्टर निजी हाथों में है, लेकिन सिर्फ 1% प्राइवेट अस्पताल ही NABH सर्टिफाइड हैं।
  • आयुष्मान भारत योजना में 50 करोड़ भारतीयों को मुफ्त इलाज देने की योजना है, लेकिन अस्पतालों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियमों का पालन जरूरी है।

क्या समाधान है?

  1. मान्यता प्रक्रिया को सरल बनाना: NABH के मानकों को थोड़ा लचीला बनाना होगा, ताकि अधिक अस्पताल इस मान्यता के लिए आवेदन कर सकें।
  2. इंसेंटिव सिस्टम मजबूत करना: अधिक मान्यता प्राप्त अस्पतालों को योजना में शामिल करने के लिए बेहतर वित्तीय प्रोत्साहन देने होंगे।
  3. सरकारी अस्पतालों को NABH मान्यता दिलाना: सरकार को अपने अस्पतालों की गुणवत्ता सुधारनी होगी, ताकि मरीजों को निजी अस्पतालों पर निर्भर न रहना पड़े।
  4. मॉनीटरिंग सिस्टम मजबूत करना: सिर्फ सर्टिफिकेशन देना काफी नहीं, अस्पतालों की नियमित निगरानी भी जरूरी है।

निष्कर्ष

अगर देश में गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है, तो NABH मान्यता प्राप्त अस्पतालों की संख्या बढ़ानी होगी। अन्यथा, 50 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत का फायदा दिलाना मुश्किल हो सकता है। आखिरकार, स्वास्थ्य सेवा का मतलब सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि गुणवत्ता के साथ इलाज होना चाहिए।