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नर्मदापुरम में बिना लाइसेंस चल रहा था सर्वजन अस्पताल, FIR दर्ज कर अस्पताल किया गया सील



नर्मदापुरम के सर्वजन अस्पताल को बिना पंजीकरण संचालित करने और बिना रजिस्ट्रेशन की सोनोग्राफी मशीन का उपयोग करने पर FIR दर्ज की गई है। जानिए पूरी खबर और प्रशासन की कार्रवाई।


नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश:
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां सर्वजन अस्पताल, जो कि निजी अस्पताल है, बिना लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के पिछले तीन महीनों से संचालित किया जा रहा था। मामले की जानकारी सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने अस्पताल को सील कर दिया है और संचालक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

अस्पताल संचालक पर गंभीर आरोप

सर्वजन अस्पताल के संचालक लक्ष्य चुग पर आरोप है कि उन्होंने अस्पताल का संचालन बिना वैध लाइसेंस के किया। इसके अलावा अस्पताल में मौजूद सोनोग्राफी मशीन भी बिना पंजीयन के पाई गई, जो पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन है।

लक्ष्य चुग के भाई डॉ. अंश चुग, जो कि जिला अस्पताल में आईसीयू प्रभारी हैं, पर भी सवाल उठे हैं कि वे अपने सरकारी कर्तव्यों की अनदेखी कर निजी अस्पताल में अधिक समय दे रहे थे और मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज कराने की सलाह देते थे।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई

1 अप्रैल 2025 को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पुलिस बल के साथ अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल खुला पाया गया और कई जरूरी दस्तावेज जैसे लाइसेंस, मशीनों का पंजीयन, स्टाफ डिटेल्स उपलब्ध नहीं थे।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर. के. वर्मा और सिविल सर्जन डॉ. सुनीता कामले की मौजूदगी में अस्पताल को सील किया गया।

FIR दर्ज, गिरफ्तारी संभव

कोतवाली थाना प्रभारी सौरभ पांडे ने पुष्टि की है कि सीएमएचओ कार्यालय की शिकायत पर लक्ष्य चुग के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। जांच जारी है और दस्तावेजों की पुष्टि के बाद गिरफ्तारी की जा सकती है।


स्वास्थ्य सेवाओं की गरिमा बनाना जरूरी

यह मामला न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि आम नागरिकों की जान के साथ खिलवाड़ भी है। बिना रजिस्ट्रेशन मेडिकल सेवाएं प्रदान करना गंभीर अपराध है और इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर जनता का भरोसा डगमगा सकता है।


Conclusion:
सर्वजन अस्पताल की यह घटना एक चेतावनी है कि बिना नियम-कानून के चल रही स्वास्थ्य सेवाएं जल्द ही प्रशासन के रडार पर आती हैं। शासन की यह सख्ती आवश्यक है ताकि आम लोगों को सुरक्षित और प्रमाणिक इलाज मिल सके।