
🕳️पीलीभीत में सीवर टैंक की सफाई के दौरान हादसा – दंपती समेत तीन की मौत, गांव में मचा कोहराम
स्थान: माधोटांडा, जिला पीलीभीत
घटना की तारीख: बुधवार, 4 जून 2025
💥 क्या हुआ हादसे में?
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के ग्राम पंचायत सेल्हा (माधोटांडा क्षेत्र) में बुधवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। सीवर टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव से दंपती समेत तीन लोगों की मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब परिवार के सदस्य निर्माणाधीन टैंक की सफाई कर रहे थे।
👨👩👧 मृतकों की पहचान
- प्रह्लाद मंडल (60 वर्ष)
- तनु विश्वास (32 वर्ष) – प्रह्लाद की पुत्री
- कार्तिक विश्वास (40 वर्ष) – तनु का पति
यह तीनों टैंक में उतरकर सफाई कर रहे थे, तभी पास ही बने पुराने टैंक से मेथेन या हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैस का रिसाव हुआ और दम घुटने से मौके पर ही तीनों की जान चली गई।
👧 मासूम बच्चियों पर टूटा दुखों का पहाड़
कार्तिक और तनु की तीन बेटियां हैं:
- बरसा (9 वर्ष)
- सुधा (7 वर्ष)
- रिद्धि (4 वर्ष)
माता-पिता की एकसाथ मृत्यु से बच्चियों के सिर से साया उठ गया। यह परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और मजदूरी कर गुज़ारा करता था।
👮 प्रशासन की कार्रवाई
- रमनगरा चौकी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शवों को टैंक से बाहर निकलवाया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
- कलीनगर तहसीलदार वीरेंद्र कुमार ने मौके पर पहुंचकर जांच की और पीड़ित परिवार से मुलाकात की।
- ग्रामीणों ने सरकारी मदद और मुआवजे की मांग की है।
⚠️ हादसे के मुख्य कारण
- बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर टैंक में प्रवेश
- पुराने और नए टैंक की पास-पास स्थिति
- प्रशासन या तकनीकी निगरानी की पूरी तरह से कमी
✅ क्या होनी चाहिए सरकारी मदद?
- ₹5 लाख से अधिक का मुआवजा
- मासूम बच्चियों के लिए शिक्षा व पालन-पोषण की योजना
- परिवार को आवास, पेंशन और रोजगार संबंधी सहायता
- इस हादसे की जांच कमेटी गठित कर दोषियों पर कार्रवाई
🔍 क्यों ज़रूरी है सीवर सफाई में सुरक्षा?
भारत में हर साल दर्जनों मजदूर और आम नागरिक सीवर गैस रिसाव से मारे जाते हैं। यह हादसे तब होते हैं जब बिना किसी सेफ्टी किट, ऑक्सीजन मास्क या प्रशिक्षण के लोग अंदर उतरते हैं। यह घटना हमें जागरूकता और नियमों के पालन की सख्त जरूरत की याद दिलाती है।
📝 निष्कर्ष
गांव सेल्हा, पीलीभीत में सीवर टैंक हादसा सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी नहीं है, यह हमारे सिस्टम की लापरवाही का सबूत भी है। अगर समय रहते सुरक्षा उपाय अपनाए जाते, तो आज तीन मासूम बच्चियां अनाथ न होतीं। अब वक्त है कि सरकार, समाज और प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित करें कि ऐसा हादसा फिर न हो।