Tag Archives: ESIमांग

उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों की हड़ताल और संशोधित सेवा नियम: सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव की बड़ी तस्वीर

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग से जुड़े कर्मचारियों और सरकार के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक ओर सरकार ऊर्जा आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा को रोकने के लिए सख्त रुख अपना रही है, वहीं दूसरी ओर बिजली कर्मचारी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मैदान में उतर चुके हैं। हाल ही में पावर कार्पोरेशन की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2020 में पंचम संशोधन 2025 किया गया, जिसने कर्मचारियों के बीच भारी असंतोष पैदा कर दिया है।

क्या है संशोधित नियमावली 2025?

इस नए संशोधन के तहत अब बिजली विभाग का नियुक्ति प्राधिकारी या उससे वरिष्ठ अधिकारी हड़ताल या कार्य बहिष्कार की स्थिति में कर्मचारी को बिना जांच के बर्खास्त, सेवा समाप्त या पदावनत कर सकता है। सरकार का कहना है कि यह कदम उन परिस्थितियों में जरूरी है जब बिजली आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने की आशंका हो।

हाईकोर्ट और एस्मा का हवाला

संशोधित नियमावली में दिसंबर 2022 की हड़ताल का हवाला देते हुए कहा गया है कि जांच प्रक्रिया लंबी होने से आरोपियों पर समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश और आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) का भी जिक्र है, जिससे सरकार को कानूनी आधार मिलता है।

बिजली कर्मचारियों का विरोध क्यों?

बिजली कर्मचारी संगठनों ने इस नियम को तानाशाही रवैया बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह बदलाव शांतिपूर्ण आंदोलन करने के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

29 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी

बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण प्रस्ताव के विरोध में 29 मई 2025 से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है। इसके अलावा संविदा कर्मचारी भी बीमा, ESI सुविधा और सेवा समाप्ति की उम्र सीमा 55 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने की मांग को लेकर 72 घंटे की हड़ताल पर हैं।

जनता को हो सकती है भारी परेशानी

इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति बाधित होने की पूरी संभावना है। खासतौर पर गर्मी के इस मौसम में जब बिजली की मांग चरम पर होती है, तब ऐसी स्थिति आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।

निष्कर्ष

सरकार और बिजली कर्मचारियों के बीच संवाद की कमी एक गंभीर संकट की ओर इशारा कर रही है। एक ओर सरकार का कड़ा रवैया है, दूसरी ओर कर्मचारियों के जायज हक और सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं। ऐसे में दोनों पक्षों को मिलकर समाधान की ओर बढ़ना चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।