
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के डीएम ने केंद्र सरकार को अपनी संपत्तियों की जानकारी दी है। जानिए कौन हैं सबसे अमीर जिलाधिकारी, किसने कहां खरीदी प्रॉपर्टी और किनके पास नहीं है एक भी संपत्ति।
जब एक आम नागरिक अपने जीवन में एक घर खरीदने के लिए वर्षों की मेहनत करता है, तब यह जानना दिलचस्प है कि प्रदेश के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी—जिन्हें “जनसेवक” कहा जाता है—कितनी संपत्ति के मालिक हैं।
हाल ही में केंद्र सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में यूपी के 75 जिलाधिकारियों (DMs) ने अपनी चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा दिया है। यह रिपोर्ट न सिर्फ पारदर्शिता का उदाहरण है, बल्कि इस पर एक गंभीर विमर्श की आवश्यकता भी बताती है।
सबसे अमीर डीएम: 11 करोड़ की संपत्ति
आगरा के डीएम अरविंद मलप्पा बंगारी के पास 15 संपत्तियां हैं जिनकी कीमत 11 करोड़ से अधिक बताई गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि एक सरकारी अफसर, जिसकी सैलरी औसतन 1.5 से 2 लाख रुपये महीना है, कैसे इतनी संपत्ति इकट्ठा करता है?
भदोही के डीएम विशाल सिंह की 8 पैतृक संपत्तियों की कीमत 17.12 करोड़ तक पहुँचती है। वहीं बरेली के डीएम रविंद्र कुमार-2 के पास 5 करोड़ का नोएडा स्थित बंगला है।
लखनऊ: अफसरों की पहली पसंद
27 जिलाधिकारियों ने लखनऊ के पॉश इलाकों में प्रॉपर्टी खरीदी है। गोमतीनगर, अंसल, सुशांत गोल्फ सिटी जैसे इलाके अफसरों के फेवरिट हैं। कई DMs ने तो संयुक्त रूप से पति-पत्नी के नाम पर करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी है।
बिना संपत्ति वाले DM भी हैं
गोरखपुर, लखनऊ, गाजियाबाद जैसे शहरों के डीएम के पास खुद के नाम कोई प्रॉपर्टी नहीं है। क्या यह उदाहरण ईमानदारी का है, या फिर ज़मीन-जायदाद किसी और के नाम पर छुपाई गई है? यह सवाल उठना लाज़मी है।
DM की संपत्ति में “गिफ्ट” का ट्रेंड
रिपोर्ट में कई DMs ने बताया है कि उनके ससुर, भाई या पत्नी से उन्हें प्रॉपर्टी गिफ्ट में मिली है। क्या यह गिफ्टिंग एक कानूनी रास्ता है संपत्ति छुपाने का? यह भी जांच का विषय है।
समाप्ति: पारदर्शिता की ज़रूरत
एक ओर सरकार “ईमानदारी की नीति” की बात करती है, दूसरी ओर सरकारी अफसरों की संपत्ति में अचानक वृद्धि आम जनता के मन में कई सवाल खड़े करती है।
इसलिए ज़रूरी है कि हर अफसर की संपत्ति की सार्वजनिक जांच हो और हर साल इसका ऑडिट किया जाए। पारदर्शिता और जवाबदेही ही लोकतंत्र की असली शक्ति है।