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उत्तराखंड CAG रिपोर्ट: CAMPA फंड से खरीदे गए iPhone, लैपटॉप और फ्रिज!

उत्तराखंड के बजट सत्र 2025 के दौरान CAG (Comptroller and Auditor General) ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई, जिसने CAMPA फंड के बड़े घोटाले का खुलासा किया। जंगलों के संरक्षण और पुनर्विकास के लिए बनाए गए इस फंड का इस्तेमाल iPhone, लैपटॉप, फ्रिज और अन्य गैर-जरूरी खर्चों के लिए किया गया। यह मामला बड़े वित्तीय कुप्रबंधन और सरकारी लापरवाही की ओर इशारा करता है।

क्या है CAMPA फंड?

CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) की स्थापना 2016 में की गई थी। इसका उद्देश्य यह था कि अगर किसी विकास परियोजना के लिए जंगल काटे जाते हैं, तो उसकी भरपाई के लिए वसूले गए पैसों का उपयोग नए पेड़ लगाने और वन संरक्षण में किया जाए। लेकिन CAG की रिपोर्ट में सामने आया है कि इस फंड का गलत इस्तेमाल किया गया।

CAG रिपोर्ट में बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा

1. गैर-जरूरी चीजों पर खर्च हुए ₹13.86 करोड़

  • CAMPA फंड का इस्तेमाल iPhone, लैपटॉप, फ्रिज और ऑफिस के सामान खरीदने में किया गया।
  • टाइगर सफारी प्रोजेक्ट, कानूनी फीस और निजी यात्राओं पर भी पैसे खर्च किए गए।
  • यह खर्चा पूरी तरह से CAMPA के उद्देश्यों के खिलाफ था।

2. ₹56.97 लाख JICA प्रोजेक्ट के कर भुगतान में खर्च

  • जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) प्रोजेक्ट को कर चुकाने के लिए CAMPA फंड से पैसे दे दिए गए, जबकि यह वैध खर्च नहीं था।

3. बिना अनुमति के सोलर फेंसिंग पर ₹13.51 लाख खर्च

  • अल्मोड़ा फॉरेस्ट डिवीजन में बिना जरूरी मंजूरी के सोलर फेंसिंग लगाई गई।
  • सोलर फेंसिंग का मकसद जंगली जानवरों को फसलों से दूर रखना होता है, लेकिन CAMPA फंड इस काम के लिए नहीं था।

4. ₹6.54 लाख ऑफिस के खर्चों पर किया गया बर्बाद

  • चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (CCF), विजिलेंस और कानून विभाग के कार्यालयों पर CAMPA फंड का इस्तेमाल किया गया, जबकि यह फंड जन जागरूकता अभियानों के लिए था।

5. जंगल की जमीन का गैर-कानूनी इस्तेमाल

  • 188.62 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग बिना अंतिम मंजूरी के गैर-वन उद्देश्यों के लिए कर लिया गया।
  • 52 मामलों में केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना जंगल की जमीन पर प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए।

पेड़ लगाने की योजना क्यों फेल हुई?

CAG रिपोर्ट के अनुसार, जंगलों के पुनर्विकास के लिए पेड़ लगाने की योजना पूरी तरह से असफल रही।

  • नए लगाए गए पेड़ों का सर्वाइवल रेट केवल 33.51% था, जबकि यह कम से कम 60-65% होना चाहिए था।
  • असफलता के कारण:
    • पेड़ ढलानदार और चट्टानी इलाकों में लगाए गए, जहां उनका जीवित रहना मुश्किल था।
    • बड़े पाइन के पेड़ों के कारण नए पौधों को सही पोषण और धूप नहीं मिल पाई।
    • देखभाल में लापरवाही के कारण मवेशियों और इंसानों से पौधे नष्ट हो गए।
  • ₹22.08 लाख खर्च होने के बावजूद जंगल का पुनर्विकास नहीं हो सका।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे घोटाले

यह कोई पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में CAMPA फंड का दुरुपयोग हुआ हो।

  • 2013 की CAG रिपोर्ट (2006-2012) में भी घोटाले सामने आए थे:
    • ₹212.28 करोड़ का शुल्क ही वसूला नहीं गया।
    • ₹2.13 करोड़ बिना मंजूरी के प्रोजेक्ट्स पर खर्च।
    • ₹12.26 करोड़ गैर-पर्यावरणीय चीजों पर खर्च, जैसे सरकारी अधिकारियों के घरों की मरम्मत और गाड़ियों की देखभाल।
    • ₹6.14 करोड़ फिजूल खर्चों में बर्बाद, जैसे बजट बैठक के लिए महंगा लंच और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एक समारोह।

अब सवाल उठता है – क्या होगी कोई कार्रवाई?

  • CAMPA फंड का दुरुपयोग वन संरक्षण के प्रयासों को कमजोर करता है।
  • सरकार और अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी या यह घोटाला भी दबा दिया जाएगा?
  • क्या दोषियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी या यह मामला भी सिर्फ एक रिपोर्ट बनकर रह जाएगा?

उत्तराखंड के जंगलों को बचाने के लिए जरूरी है कि CAMPA फंड सही तरीके से इस्तेमाल हो और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।