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बरेली के भास्कर अस्पताल में हंगामा: इलाज के दौरान युवक की मौत, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधक से की मारपीट



बरेली के भास्कर अस्पताल में इलाज के दौरान युवक की मौत पर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधक के साथ की मारपीट। जानिए पूरी घटना, पुलिस की कार्रवाई और अस्पताल का पक्ष।


भास्कर अस्पताल में बवाल: इलाज के दौरान मरीज की मौत, परिजनों ने जताई नाराज़गी

बरेली, उत्तर प्रदेश।
बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र में स्थित भास्कर अस्पताल में मंगलवार को उस वक्त तनाव का माहौल बन गया, जब एक घायल युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए न सिर्फ हंगामा किया, बल्कि अस्पताल प्रबंधक विनोद कुमार के साथ मारपीट भी कर डाली।


क्या है पूरा मामला?

मीरगंज थाना क्षेत्र के मुलड़िया गांव निवासी रिजवान एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। परिजनों ने उसे तत्काल भास्कर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत नाज़ुक बताते हुए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।

परिजन जब मरीज को लेकर रेफर किए गए अस्पताल की ओर जा रहे थे, तभी रास्ते में उसकी मौत हो गई। इससे आक्रोशित होकर परिजन मृतक के शव को वापस भास्कर अस्पताल लेकर आए और वहां हंगामा शुरू कर दिया।


सीसीटीवी में कैद हुई घटना

हंगामे के दौरान मृतक के परिजन राशिद जान, शानू खान, ईशा खान और मोबीन खान ने अस्पताल प्रबंधक विनोद कुमार से मारपीट की। यह पूरी घटना अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हो गई है। आरोप है कि परिजनों ने जान से मारने की धमकी भी दी।

स्थिति बिगड़ती देख अस्पताल स्टाफ—चंद्रपाल, संतोष कनौजिया, मनोज और महेश—ने बीच-बचाव कर किसी तरह प्रबंधक को बचाया। सूचना पाकर इज्जतनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक हमलावर भाग चुके थे।


अस्पताल प्रशासन और पुलिस का बयान

अस्पताल प्रबंधक विनोद कुमार ने इज्जतनगर थाने में लिखित शिकायत दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज को समय पर सही सलाह दी गई थी और रेफर करने की प्रक्रिया भी ठीक से पूरी की गई थी।

पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान कर रही है और जल्द ही गिरफ्तारी की बात भी कही जा रही है।


स्वास्थ्य सेवाओं में सुरक्षा की जरूरत

यह घटना न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की संवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा और पारदर्शी संवाद की जरूरत को भी सामने लाती है। ऐसी घटनाओं से डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों के मनोबल पर भी असर पड़ता है।


निष्कर्ष:
बरेली के भास्कर अस्पताल की यह घटना कई अहम सवाल उठाती है—क्या चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं? क्या मरीजों के परिजनों को चिकित्सा प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी मिलती है? और सबसे जरूरी, कानून व्यवस्था ऐसे मामलों में कितनी प्रभावी है?