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कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान पर भड़के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बीजेपी पर साधा निशाना


कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री के विवादित बयान पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बीजेपी की दोहरी मानसिकता पर सवाल उठाए हैं। जानिए पूरा मामला।


परिचय

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी चर्चा में आ गईं, जब मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री विजय शाह ने उन्हें लेकर विवादित बयान दे दिया। इस पर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। सबसे मुखर प्रतिक्रिया आई शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की, जिन्होंने भाजपा पर खुलकर निशाना साधा।


कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं?

कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक जांबाज़ अधिकारी हैं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन के ज़रिए भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। ऐसे समय में जब देश उनकी बहादुरी की सराहना कर रहा था, मंत्री विजय शाह का बयान न सिर्फ आपत्तिजनक था बल्कि सेना के सम्मान पर भी सवाल खड़ा करता है।


स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा:

“जिस पार्टी के प्रवक्ता मुसलमान हों, जो चुन-चुनकर मुस्लिम चेहरों को सामने लाती हो, वही पार्टी जब मुसलमानों के प्रति ऐसी सोच दिखाती है तो इसका मतलब साफ है — दिखावा कुछ और, असल सोच कुछ और।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब सेना ने किसी को जिम्मेदारी दी है तो वह पूरी प्रक्रिया के बाद दी गई है। ऐसे में उस व्यक्ति के प्रति इस तरह का बयान देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।


बीजेपी पर दोहरे रवैये का आरोप

शंकराचार्य ने भाजपा की नीति पर तंज कसते हुए कहा कि यह पार्टी अब प्रशंसा भी करती है और निंदा भी – यह इनकी “राजनीतिक रणनीति” का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि पार्टी का असली चेहरा अब सामने आ चुका है।


सीजफायर पर भी दी प्रतिक्रिया

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीजफायर की सहमति बनी है। इस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा:

“जब पाकिस्तान के कई प्रांतों में उनकी ही सेना के खिलाफ विद्रोह हुआ, तो भारत के पास एक सुनहरा मौका था। देश चाहता था कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाए जिसे वह कभी न भूले। लेकिन सरकार ने यह मौका छोड़ दिया।”


निष्कर्ष

कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिया गया बयान केवल एक व्यक्ति का अपमान नहीं बल्कि सेना की गरिमा पर आघात है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जैसे धार्मिक नेता की खुली प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि देश अब किसी भी तरह की दोहरी मानसिकता को स्वीकार नहीं करेगा। सवाल यह है कि क्या भाजपा इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख अपनाएगी या फिर यह विवाद भी धीरे-धीरे ठंडा कर दिया जाएगा?