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महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय घोटाला: करोड़ों का वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा

रुहेलखंड विश्वविद्यालय (अब महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय) में स्ववित्त पाठ्यक्रमों की फीस का गलत उपयोग, गेस्ट लेक्चरर्स को अवैध भुगतान और 20% अंश न जमा करने सहित करोड़ों के घोटाले का खुलासा।


विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताएँ: एक बड़ा घोटाला

हाल ही में, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (पूर्व नाम: रुहेलखंड विश्वविद्यालय) में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले का मामला सामने आया है। लेखा परीक्षा विभाग द्वारा किए गए ऑडिट में पाया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों से प्राप्त फंड का गलत तरीके से उपयोग किया, जिससे विश्वविद्यालय को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

प्रमुख अनियमितताएँ:

1. गेस्ट लेक्चरर्स को अवैध भुगतान (8.47 करोड़ रुपये)

  • स्ववित्त पाठ्यक्रमों (बीटेक, एमबीए, होटल मैनेजमेंट आदि) से प्राप्त फीस से 8.47 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च कर गेस्ट लेक्चरर्स और कर्मचारियों के वेतन में दिए गए।
  • यह राशि नियमों के विरुद्ध थी और इससे विश्वविद्यालय के फंड का दुरुपयोग हुआ।

2. विश्वविद्यालय निधि में 20% अंश न जमा करना (2.39 करोड़ रुपये का नुकसान)

  • नियमानुसार, स्ववित्त पाठ्यक्रमों की फीस का 20% हिस्सा विश्वविद्यालय के सामान्य फंड में जमा किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
  • इससे 2.39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में उपयोग हो सकता था।

3. आईएएसई संकाय को गलत तरीके से फंडिंग (6.92 करोड़ रुपये का ऋण)

  • 2014 से 2022 तक, आईएएसई संकाय को चलाने के लिए अन्य संकायों (आईटी और होटल मैनेजमेंट) से 6.92 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया।
  • यह स्ववित्त पोषित नीतियों के खिलाफ था और इससे विश्वविद्यालय के फंड का गलत आवंटन हुआ।

4. चैलेंज इवैल्यूएशन फीस का गायब होना (4.30 करोड़ रुपये)

  • चैलेंज इवैल्यूएशन से प्राप्त 4.30 करोड़ रुपये की फीस बीटेक खाते में ट्रांसफर दिखाई गई, लेकिन वास्तव में यह राशि खाते में नहीं पहुँची।
  • ऑडिट टीम ने चिंता जताई कि यह राशि गबन की श्रेणी में आ सकती है।

5. रद्दी कागजात को कम दाम पर बेचना (10.30 लाख रुपये का नुकसान)

  • यूपी संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा-2022 की रद्दी OMR शीट और फॉर्म को सामान्य दर से कम (2121 रुपये प्रति क्विंटल) में बेचा गया, जबकि पहले यह 3200 रुपये प्रति क्विंटल में बिकती थी।
  • इससे विश्वविद्यालय को 10.30 लाख रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ।

6. बिना जरूरत के एफडी भुनाना (ब्याज का नुकसान)

  • विश्वविद्यालय के खाते में 13.60 करोड़ रुपये होने के बावजूद, 3.53 करोड़ रुपये की एफडी समय से पहले भुनाई गई, जिससे ब्याज का नुकसान हुआ।

विश्वविद्यालय प्रशासन का बचाव

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने कहा कि यह एक रूटीन ऑडिट प्रक्रिया है और सभी आपत्तियों का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ दस्तावेज समय पर नहीं जमा कर पाने के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ है।

निष्कर्ष: क्या यह घोटाला है?

लेखा परीक्षा रिपोर्ट में सामने आए तथ्य बताते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई वित्तीय नियमों को तोड़ा है, जिससे संस्थान को करोड़ों का नुकसान हुआ है। अब देखना यह है कि उच्च स्तरीय जाँच में कौन-कौन जिम्मेदार पाए जाते हैं और क्या उनके खिलाफ कार्रवाई होती है।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. इस घोटाले की जाँच किसने की?
उत्तर: स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग ने 2022-23 के ऑडिट में यह अनियमितताएँ पकड़ी हैं।

Q2. क्या विश्वविद्यालय ने इन आरोपों का जवाब दिया है?
उत्तर: विश्वविद्यालय का कहना है कि वह सभी आपत्तियों का जवाब देगा और दस्तावेज जमा करेगा।

Q3. इससे छात्रों को क्या नुकसान हुआ?
उत्तर: फंड के दुरुपयोग से विश्वविद्यालय के बुनियादी ढाँचे और शैक्षणिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

Q4. क्या यह मामला कोर्ट तक जा सकता है?
उत्तर: यदि जाँच में गंभीर गड़बड़ी मिलती है, तो एफआईआर दर्ज हो सकती है।