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मोबाइल की लत और लापरवाही: बरेली में दो बच्चों की रेलवे ट्रैक पर दर्दनाक मौत से सबक

बरेली के इज्जतनगर में मोबाइल में व्यस्त दो बच्चों की रेल इंजन की चपेट में आकर मौत। यह हादसा मोबाइल लत और सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर गंभीर चेतावनी है


आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लेकिन जब यह आदत लत बन जाए और सतर्कता की जगह लापरवाही ले ले, तो नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया।


क्या हुआ बरेली के इज्जतनगर में?

सोमवार सुबह करीब 9 बजे, बरेली-लालकुआं रेलवे लाइन पर कर्मपुर चौधरी गांव के पास एक दुखद घटना घटी। दो दोस्त, आदित्य (14 वर्ष) और पंकज (11 वर्ष) रेलवे लाइन किनारे बैठकर मोबाइल देख रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आदित्य के हाथों में मोबाइल था जबकि पंकज के कानों में इयरफोन लगे थे। उसी दौरान एक रेल इंजन बहेड़ी की ओर से आ गया।

आवाजें लगती रहीं, मगर ध्यान मोबाइल में था

स्थानीय लोगों और ट्रेन चालक ने उन्हें कई बार चेतावनी दी—लोगों ने चिल्लाया, ट्रेन की सीटी बजी—लेकिन दोनों दोस्त मोबाइल में इतने खोए हुए थे कि उन्होंने किसी की आवाज नहीं सुनी। कुछ ही पलों में रेल इंजन उन्हें कुचलता हुआ निकल गया और दोनों की मौके पर ही मौत हो गई


पीड़ितों के परिवार का दर्द

  • आदित्य इज्जतनगर की गायत्री नगर कॉलोनी में रहता था और आठवीं कक्षा का छात्र था।
  • पंकज के माता-पिता दिल्ली में मजदूरी करते हैं, और वह अपने बड़े भाई के साथ रहता था।

परिवार वालों को जब खबर मिली तो घटनास्थल पर कोहराम मच गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।


मोबाइल की लत बनती जा रही है खतरनाक

यह हादसा एक गंभीर चेतावनी है—खासकर बच्चों और किशोरों में मोबाइल की लत कितनी खतरनाक हो सकती है।

  • इयरफोन पहनकर सड़क या रेलवे ट्रैक पर चलना जानलेवा साबित हो सकता है।
  • माता-पिता को बच्चों के मोबाइल उपयोग पर निगरानी रखनी चाहिए।
  • स्कूलों और समाज में डिजिटल सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।

क्या सबक मिलना चाहिए इस हादसे से?

  1. जन जागरूकता अभियान जरूरी हैं, खासकर रेलवे ट्रैक के आसपास रहने वाले क्षेत्रों में।
  2. मोबाइल उपयोग की सीमाएं तय होनी चाहिए, विशेष रूप से बच्चों के लिए।
  3. इमरजेंसी अलार्म सिस्टम और निगरानी कैमरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए रेलवे ट्रैक्स के नजदीक।

निष्कर्ष

बरेली का यह हादसा सिर्फ दो परिवारों की नहीं, पूरे समाज की त्रासदी है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम तकनीक का उपयोग तो कर रहे हैं, पर क्या हम सुरक्षित तरीके से कर रहे हैं?

हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को न केवल तकनीकी रूप से दक्ष बनाएं, बल्कि उन्हें सतर्क और सुरक्षित भी रखें।