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सेना PM मोदी के चरणों में नतमस्तक” बयान पर बवाल: क्या डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने सेना का अपमान किया?


एमपी के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का बयान कि “पूरे देश और सेना के सैनिक प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं” विवादों में घिर गया है। जानिए इस बयान पर क्यों मचा है सियासी घमासान।


MP के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के बयान ने खड़ा किया सियासी तूफान

मध्य प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा अपने हालिया बयान को लेकर विवादों में आ गए हैं। जबलपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा:

“पूरा देश, हमारी सेना और सैनिक प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं।”

उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सराहना करते हुए दिया गया था, लेकिन यह टिप्पणी अब भारतीय सेना के सम्मान पर सवाल खड़े कर रही है।


आखिर क्या कहा डिप्टी सीएम ने?

कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए देवड़ा ने कहा कि:

“जिन आतंकियों ने हमारी बहनों के सिंदूर मिटाए, जब तक उन्हें और उनके मददगारों को जड़ से खत्म नहीं कर देते, चैन से नहीं बैठेंगे। हमें प्रधानमंत्री मोदी जी का धन्यवाद करना चाहिए। उन्होंने जो करारा जवाब दिया, उसके लिए पूरा देश, सेना और सैनिक उनके चरणों में नतमस्तक हैं।”


क्यों उठे विरोध के स्वर?

1. सेना की गरिमा पर सवाल

भारतीय सेना किसी नेता विशेष के प्रति नहीं, बल्कि संविधान और देश के प्रति निष्ठा रखती है। किसी राजनेता के “चरणों में नतमस्तक” कहकर सेना की स्वतंत्रता और गरिमा पर आंच आती है।

2. राजनीतिकरण का आरोप

राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्ष का कहना है कि सेना की आड़ में नेताओं द्वारा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

3. जनता और सैन्य अधिकारियों की नाराज़गी

पूर्व सैनिकों, नागरिक संगठनों और सोशल मीडिया पर लोगों ने इस बयान को अपमानजनक बताया है और माफी या स्पष्टीकरण की मांग की है।


मध्य प्रदेश में बार-बार विवादित बयान

यह पहली बार नहीं है जब कोई मंत्री विवादित बयान देकर सुर्खियों में आए हैं। इससे पहले मंत्री विजय शाह का बयान भी विवादों में रहा था। लगातार ऐसे बयानों ने प्रदेश में राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है।


निष्कर्ष: सेना को राजनीति से दूर रखें

भारतीय सेना हमारे राष्ट्र की शान है, और उसे किसी भी तरह की राजनीतिक बयानबाज़ी में शामिल करना निंदनीय है। नेताओं को चाहिए कि वे संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय जिम्मेदारी दिखाएं और सेना की निष्पक्षता को बनाए रखें।