
बरेली, उत्तर प्रदेश। भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र अक्सर अपनी सेवाओं के लिए सुर्खियाँ बटोरता है, लेकिन कभी-कभी यह लापरवाही, अयोग्यता और कमीशनखोरी जैसे काले कारनामों के लिए भी चर्चा में आ जाता है। ऐसा ही एक दर्दनाक मामला बरेली के राधिका अस्पताल से सामने आया है, जहाँ एक मरीज की मृत्यु के पीछे डॉक्टरों की लापरवाही और एंबुलेंस माफिया की साजिश का आरोप लग रहा है।
🔍 मामला क्या है?
वर्ष 2023 में रुद्रपुर (उत्तराखंड) के निवासी भोला प्रसाद को हार्ट अटैक आया। उनके बेटे उमेश कुमार ने उन्हें तुरंत रामपुर के एक अस्पताल ले जाया, जहाँ से डॉक्टरों ने उन्हें भोजीपुरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया।
लेकिन, एंबुलेंस चालक फूल सिंह ने कथित तौर पर कमीशन के लालच में मरीज को राधिका अस्पताल, बरेली ले जाकर भर्ती करा दिया। वहाँ डॉ. विवेक गुप्ता ने, जो हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं थे, उनका इलाज शुरू किया और उनकी हालत को गंभीर नहीं बताया। कुछ घंटों बाद भोला प्रसाद की मृत्यु हो गई।
🩺 जांच में क्या सामने आया?
पीड़ित परिवार की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने जाँच शुरू की, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:
✅ कोई हृदय विशेषज्ञ नहीं था: अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति की पुष्टि हुई, जबकि मरीज को दिल का दौरा पड़ा था।
✅ कॉल डिटेल रिपोर्ट (CDR) से खुलासा: एंबुलेंस चालक और अस्पताल स्टाफ के बीच कमीशनखोरी के सबूत मिले।
✅ डॉक्टर की योग्यता पर सवाल: डॉ. विवेक गुप्ता के डिग्री और विशेषज्ञता की जाँच की जा रही है।
✅ अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही: अस्पताल संचालक डॉ. प्रतीक गंगवार से भी पूछताछ की गई है।
🚑 एंबुलेंस माफिया और कमीशनखोरी का खेल
यह कोई पहला मामला नहीं है जहाँ एंबुलेंस चालकों और निजी अस्पतालों के बीच मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया गया हो। बरेली समेत पूरे देश में यह गंभीर समस्या बन चुकी है।
कैसे काम करता है यह धंधा?
- एंबुलेंस चालक दुर्घटना या आपात स्थिति में मरीज को सबसे ज्यादा कमीशन देने वाले अस्पताल ले जाते हैं।
- अस्पताल प्रबंधन उन्हें प्रति मरीज हजारों रुपये का कमीशन देता है, भले ही वहाँ इलाज की सुविधा न हो।
- गैर-विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं, जिससे जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि पुलिस जल्द ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी।
🛡️ कैसे बचें ऐसी धोखाधड़ी से?
अगर आप या आपके परिवार में किसी को आपातकालीन इलाज की जरूरत पड़े, तो इन बातों का ध्यान रखें:
✔️ सीधे सरकारी या विश्वसनीय निजी अस्पताल जाएँ।
✔️ एंबुलेंस चालक को मनमर्जी अस्पताल ले जाने से रोकें।
✔️ डॉक्टर की योग्यता और अस्पताल की सुविधाएँ जाँच लें।
✔️ अगर शक हो, तो पुलिस या स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें।
✍️ निष्कर्ष
यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही की ओर इशारा करता है। अगर समय रहते कड़े कानूनी कार्रवाई और जागरूकता नहीं बढ़ाई गई, तो ऐसे हादसे बढ़ते रहेंगे।
क्या आपने या आपके जानने वालों ने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? कमेंट में अपने विचार साझा करें!