
बरेली में एक महिला से हेल्थ इंश्योरेंस कैंसिल करने के बहाने साइबर ठग ने आधार नंबर और ओटीपी लेकर 64,686 रुपये की ठगी की। जानिए पूरी घटना, सबक और बचाव के उपाय।
डिजिटल इंडिया के इस युग में जहां एक ओर सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। जागरूकता अभियान के बावजूद लोग आज भी जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं। बरेली में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला से हेल्थ इंश्योरेंस कैंसिल करने के नाम पर आधार नंबर और ओटीपी लेकर 64,686 रुपये की ठगी कर ली गई।
घटना का विवरण
29 अप्रैल को बरेली के किला थाना क्षेत्र के खन्नू मोहल्ले में रहने वाली रेखा रानी, जो जीवन रेखा हीमोफिलिया जनकल्याण समिति की अध्यक्ष हैं, के पास एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई बैंक का अधिकारी बताया और कहा कि उनके क्रेडिट कार्ड पर हेल्थ इंश्योरेंस एक्टिव है, जिसे कैंसिल करने के लिए आधार नंबर और ओटीपी की जरूरत है।
रेखा रानी ने आधार नंबर देने के बाद ओटीपी भी बता दिया, जिसके तुरंत बाद उनके खाते से ₹64,686 रुपये डेबिट हो गए। 2 मई को बैंक से कॉल आने पर उन्हें ठगी का पता चला और 3 मई को उन्होंने बैंक जाकर अपना कार्ड ब्लॉक कराया और शिकायत दर्ज कराई।
ठगी का तरीका (Modus Operandi)
- फोन कॉल द्वारा विश्वास में लेना: खुद को बैंक अधिकारी बताकर झूठी जानकारी देना।
- डर या भ्रम पैदा करना: अनावश्यक शुल्क या सेवाओं की जानकारी देकर ग्राहकों को भ्रमित करना।
- संवेदनशील जानकारी लेना: आधार नंबर, ओटीपी, कार्ड डिटेल्स जैसी जानकारियां मांगना।
- तुरंत ट्रांजैक्शन करना: जैसे ही ओटीपी मिला, तुरंत पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इससे क्या सीखें?
- कभी भी OTP किसी को न बताएं, चाहे वह खुद को बैंक अधिकारी ही क्यों न बताए।
- बैंक फोन पर आधार नंबर, पासवर्ड या कार्ड डिटेल्स नहीं मांगता।
- संवेदनशील जानकारी केवल बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप पर ही साझा करें।
- किसी भी अनजान कॉल पर तुरंत कार्रवाई करने से पहले खुद जांच-पड़ताल करें।
क्या करें अगर आप ठगी के शिकार हो जाएं?
- तुरंत बैंक को सूचित करें और अपना कार्ड/खाता ब्लॉक कराएं।
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
- www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
- नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में FIR दर्ज कराएं।
निष्कर्ष
बरेली की इस घटना से स्पष्ट है कि थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से हम खुद को साइबर ठगों से बचा सकते हैं। याद रखें, ओटीपी आपकी सुरक्षा की चाबी है—इसे किसी भी हाल में साझा न करें।