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बरेली नगर निगम घोटाला: ब्लैक लिस्टेड फर्म को सवा पांच करोड़ का ठेका, जांच के घेरे में कई अफसर

बरेली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नगर निगम ने पांच साल पहले ब्लैक लिस्टेड की गई फर्म को सवा पांच करोड़ रुपये का ठेका दे दिया। यह फर्म, परमार कंस्ट्रक्शन, 2020 में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जमा करने के कारण स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा ब्लैक लिस्ट की गई थी। इसके बावजूद, नवंबर 2024 में नगर निगम के उद्यान विभाग ने इसे ठेका आवंटित कर दिया, जिसके बाद अब कई अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में है। इस लेख में हम इस पूरे मामले की जानकारी, जांच प्रक्रिया और इसके संभावित परिणामों पर चर्चा करेंगे।

ब्लैक लिस्टेड फर्म को ठेका: क्या है पूरा मामला?

2020 में तत्कालीन नगर आयुक्त और स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ अभिषेक आनंद ने आगरा की परमार कंस्ट्रक्शन फर्म को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ब्लैक लिस्ट कर दिया था। नियमों के अनुसार, ऐसी फर्म को कोई सरकारी ठेका नहीं मिलना चाहिए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पिछले साल नवंबर में बरेली नगर निगम ने इसी फर्म को उद्यान विभाग में सवा पांच करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट सौंप दिया। जब यह मामला उजागर हुआ, तो नगर निगम में हड़कंप मच गया।

नगर आयुक्त संजीव कुमार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए और ठेके पर काम रोकने का निर्देश दिया। उन्होंने एक जांच समिति गठित की है, जिसमें उप नगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी, मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी और लेखाधिकारी अनुराग सिंह शामिल हैं। इस समिति को पांच दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

जांच के दायरे में कई अफसर

इस मामले में कई अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर ब्लैक लिस्टेड फर्म को ठेका कैसे मिला? क्या इसमें लापरवाही हुई या यह सुनियोजित भ्रष्टाचार का हिस्सा था? सूत्रों के अनुसार, जांच पूरी होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। नगर आयुक्त ने कहा, “जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी और इसे शासन को भी भेजा जाएगा। जिस स्तर पर भी लापरवाही हुई, वहां जवाबदेही तय की जाएगी।”

सपा पार्षद ने की सीबीआई जांच की मांग

इस घोटाले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। सपा पार्षद राजेश अग्रवाल ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है। उन्होंने सोमवार को नगर आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका आरोप है कि ब्लैक लिस्टेड फर्म को न केवल ठेका दिया गया, बल्कि उसका भुगतान भी किया जा रहा था। उन्होंने इसे गंभीर भ्रष्टाचार का मामला बताते हुए सीबीआई जांच की जरूरत पर जोर दिया।

क्या होगा अगला कदम?

नगर आयुक्त संजीव कुमार ने स्पष्ट किया कि जांच समिति की रिपोर्ट के बाद ही अगला कदम तय होगा। अगर इसमें भ्रष्टाचार या अनियमितता की पुष्टि होती है, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई संभव है। साथ ही, इस मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी, जिसके बाद उच्च स्तर पर भी कार्रवाई हो सकती है।

निष्कर्ष

बरेली नगर निगम का यह मामला एक बार फिर सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। ब्लैक लिस्टेड फर्म को ठेका देना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि जनता के पैसों के दुरुपयोग का भी गंभीर उदाहरण है। अब सबकी नजरें जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस घोटाले के पीछे की सच्चाई को सामने लाएगी।

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