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बरेली: परिषदीय स्कूलों के विलय के खिलाफ शिक्षकों ने तेज किया आंदोलन, 4 जुलाई को बाइक रैली का ऐलान

बरेली, 30 जून – उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के विलय की नीति के विरोध में बरेली के शिक्षक संघों और ट्रेड यूनियनों ने आंदोलन तेज कर दिया है। “शिक्षा बचाओ मोर्चा” के तहत विभिन्न संगठनों ने रविवार को गांधी उद्यान में बैठक कर 4 जुलाई को बाइक रैली और 8 जुलाई को जिलाधिकारी को ज्ञापन देने का निर्णय लिया।

क्या है मामला?

यूपी सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश भर में छोटे और कम छात्र संख्या वाले परिषदीय स्कूलों का बड़े स्कूलों में विलय किया जा रहा है। शिक्षक संगठनों का दावा है कि इससे बरेली जिले के 617 प्राथमिक और जूनियर स्कूल बंद हो जाएंगे, जिससे हजारों बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी।

शिक्षक संघों की मुख्य आपत्तियाँ

  1. ग्रामीण बच्चों की शिक्षा पर संकट
  • उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नरेश गंगवार ने कहा, “यह नीति गाँवों के बच्चों के साथ अन्याय है। कई बच्चों को अब दूर के स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ेगी।”
  1. शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन
  • यूटीए के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि “सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। यह RTE कानून और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
  1. शिक्षकों की नौकरियाँ खतरे में
  • कई शिक्षकों को डर है कि विलय के बाद उनका तबादला या सेवा समाप्ति हो सकती है।
  1. मध्याह्न भोजन योजना प्रभावित
  • स्कूल बंद होने से मिड-डे मील योजना भी ठप होगी, जिससे गरीब बच्चों को पोषण नहीं मिल पाएगा।

आंदोलन की रणनीति

  • 4 जुलाई: बाइक रैली निकालकर जनता को जागरूक किया जाएगा।
  • 8 जुलाई: जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांगों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
  • कोर्ट में चुनौती: यदि सरकार नहीं सुनती, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सरकार का पक्ष

यूपी सरकार का कहना है कि यह नीति संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए लाई गई है। हालाँकि, शिक्षक संगठन इसे शिक्षा का निजीकरण बता रहे हैं।

आगे की कार्रवाई

शिक्षक संघों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो राज्यव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।