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इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी: लिवर में पलता भ्रूण, दुनिया के सिर्फ 8 मामलों में शामिल है भारत का यह केस!

रिपोर्टिंग-अजय सक्सेना-बरेली-शहर

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बुलंदशहर, यूपी में एक दुर्लभ ‘इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी’ का मामला सामने आया है, जहां भ्रूण गर्भाशय की बजाय लीवर में पल रहा था। जानें इस जानलेवा स्थिति के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से।

क्या है इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी?

सामान्य गर्भावस्था में निषेचित अंडा गर्भाशय (uterus) में प्रत्यारोपित होता है, लेकिन एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में यह अंडा गर्भाशय के बाहर कहीं और (जैसे फैलोपियन ट्यूब, ओवरी या इस केस में लीवर) में प्रत्यारोपित हो जाता है। इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है, जहां भ्रूण लीवर में विकसित होने लगता है।

डॉ. निरूपमा सिंह (स्त्री रोग विशेषज्ञ, बुलंदशहर) के अनुसार, “यह स्थिति माँ और भ्रूण दोनों के लिए जानलेवा होती है, क्योंकि लीवर में भ्रूण का पूर्ण विकास संभव नहीं होता।”


बुलंदशहर का यह मामला क्यों है खास?

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 30 वर्षीय एक महिला को पेट में तेज दर्द और उल्टी की शिकायत थी। जब सामान्य इलाज से आराम नहीं मिला, तो एमआरआई एब्डोमन कराया गया। जांच में पता चला कि उसके लीवर में 12 हफ्ते का जीवित भ्रूण मौजूद है!

यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि:
दुनियाभर में अब तक सिर्फ 8 ऐसे केस ही रिपोर्ट हुए हैं।
✔ भारत में यह पहला ज्ञात मामला हो सकता है।
✔ भ्रूण के लीवर में होने के बावजूद उसकी धड़कनें स्पष्ट थीं, जो चिकित्सकों के लिए भी आश्चर्यजनक था।


इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण

  • 4 हफ्ते के बाद ही तेज पेट दर्द शुरू हो जाता है।
  • अनियंत्रित रक्तस्राव हो सकता है।
  • चक्कर आना या बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • उल्टी और कमजोरी महसूस होती है।

डाक्टर रुचि पुजारा का कहना है कि अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति माँ की जान के लिए खतरनाक हो सकती है।


इसका इलाज क्या है?

इस तरह की प्रेग्नेंसी में भ्रूण को सर्जरी के जरिए हटाना ही एकमात्र विकल्प है। डॉक्टरों के अनुसार:

  • अल्ट्रासाउंड या एमआरआई से सटीक जांच की जाती है।
  • आपातकालीन सर्जरी करके भ्रूण को निकाला जाता है।
  • समय पर इलाज न मिलने पर माँ की मृत्यु तक हो सकती है।

दुनिया में अब तक कितने मामले सामने आए हैं?

देशमामलों की संख्या
चीन2
नाइजीरिया1
अमेरिका3
यूरोप2
भारत (बुलंदशहर)1 (संभावित)

कैसे बचें इस खतरनाक स्थिति से?

  • गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं।
  • असामान्य पेट दर्द या रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पहले से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इतिहास हो तो विशेष सावधानी बरतें।

निष्कर्ष

बुलंदशहर का यह मामला गर्भावस्था के दौरान समय पर जांच की अहमियत को दर्शाता है। अगर आप या आपके परिवार में कोई गर्भवती है, तो किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें और तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।