
Nitesh Agarwal, Lakhimpur Khiri News
बाढ़ नियंत्रण परियोजना में भारी अनियमितता, योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर उठे सवाल
शारदा नदी में बाढ़ से बचाव के लिए 22.23 करोड़ की ड्रेजिंग परियोजना में घोटाले के आरोप, लखीमपुर खीरी के बाढ़ खंड में मड़पंप को बताया जा रहा ड्रेजर, जांच की मांग तेज।
लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश:
योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद लखीमपुर खीरी जिले के बाढ़ खंड विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। 22.23 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई ड्रेजिंग और चैनलाइजेशन परियोजना में घोर अनियमितताएं पाई गई हैं।
शारदा नदी में हर वर्ष आने वाली बाढ़ से पलिया क्षेत्र को बचाने के उद्देश्य से यह परियोजना शुरू की गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस कार्य का निरीक्षण किया था, लेकिन मौके की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
केवल एक ड्रेजर, मड़पंपों से हो रहा काम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस परियोजना में 8 ड्रेजर मशीनों के उपयोग का प्रावधान था। मगर मौके पर सिर्फ एक ड्रेजर मशीन संचालित हो रही है, जबकि अन्य जगहों पर मड़पंप जैसे अस्थायी उपकरण लगाए गए हैं, जिन्हें ड्रेजर बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि 26 लाख क्यूबिक मीटर बालू की ड्रेजिंग का लक्ष्य है, जिसे एक ड्रेजर से पूरा करना लगभग असंभव है। इससे स्पष्ट है कि सिर्फ कागजों पर काम दिखाया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है।
बिना अनुभव वाली कंपनी को ठेका!
सूत्रों का यह भी दावा है कि यह ठेका शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन नामक फर्म को दिया गया है, जिसके पास न तो खुद की ड्रेजिंग मशीन है और न ही आवश्यक अनुभव। यह ठेका अधीक्षण अभियंता धर्मेंद्र कुमार सिंह द्वारा अपने करीबी ठेकेदार को दिया गया है।
जनता के पैसे की खुली लूट?
- करोड़ों की परियोजना में मशीनों की भारी कमी
- मड़पंप को ड्रेजर बताकर सरकारी धन की बंदरबांट
- बिना योग्यता वाली फर्म को टेंडर देने पर सवाल
- निरीक्षण के बावजूद काम में पारदर्शिता का अभाव
विपक्ष ने उठाई जांच की मांग
इस प्रकरण को लेकर विपक्षी दलों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सरकार से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस प्रकार के घोटाले जनता के पैसे की सीधी लूट हैं, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
लखीमपुर खीरी बाढ़ परियोजना में सामने आया यह घोटाला प्रदेश की प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि मुख्यमंत्री की निगरानी के बावजूद इस तरह की लापरवाही हो रही है, तो यह प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी चिंता का विषय बन सकता है।