
उत्तर प्रदेश में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है, और बरेली व सहारनपुर इसके नए केंद्र बन गए हैं। हेरोइन, स्मैक, गांजा और फार्मा ड्रग्स की तस्करी यहाँ से देश के कोने-कोने और विदेशों तक पहुँच रही है। कूरियर सेवाओं और इंटरनेट फार्मेसी के जरिए यह गोरखधंधा चल रहा है। इस ब्लॉग में जानिए कैसे ये शहर ड्रग्स के हब बने और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) इस पर लगाम लगाने के लिए क्या कर रहा है।
बरेली: हेरोइन का उत्पादन केंद्र
बरेली अब हेरोइन और स्मैक बनाने का बड़ा अड्डा बन चुका है। यहाँ से ड्रग्स पंजाब, एनसीआर, उत्तराखंड और नेपाल तक सप्लाई हो रही हैं।
- 2021 की बड़ी गिरफ्तारी: फतेहगंज पूर्वी में शाहिद उर्फ छोटे प्रधान के पास से 20 किलो हेरोइन बरामद हुई थी। इसके बाद एनसीबी, यूपी पुलिस और एसटीएफ ने कार्रवाई तेज की।
- कैसे होता है खेल?: सहारनपुर से कच्चा माल आता है, और दिल्ली से अफगानी कुक यहाँ हेरोइन तैयार करते हैं।
सहारनपुर: सप्लाई का गढ़
सहारनपुर ड्रग्स के लिए कच्चे माल और केमिकल की सप्लाई का मुख्य स्रोत है। यहाँ से बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों तक तस्करी हो रही है।
- कूरियर का सहारा: कोडीन-बेस्ड सिरप जैसे फार्मा ड्रग्स कूरियर के जरिए भेजे जाते हैं।
एनसीबी की सख्ती: बरेली में नया ऑफिस
नशे के इस बढ़ते जाल को तोड़ने के लिए एनसीबी बरेली में जल्द नया ऑफिस खोलने जा रही है। अभी लखनऊ और गोरखपुर में इसके ऑफिस हैं। यह कदम बरेली और पश्चिमी यूपी में ड्रग्स पर नकेल कसेगा।
फार्मा ड्रग्स का जाल
लखनऊ, आगरा, मथुरा और सहारनपुर जैसे शहर फार्मा ड्रग्स और साइकोट्रोपिक ड्रग्स की सप्लाई में आगे हैं। इंटरनेट फार्मेसी और कूरियर के जरिए ये नेपाल, अमेरिका और यूरोप तक पहुँच रहे हैं।
- पूर्वांचल में गांजा, पश्चिम में हेरोइन: मांग के हिसाब से ड्रग्स का कारोबार चल रहा है।
निष्कर्ष
बरेली और सहारनपुर में नशे का कारोबार चिंता का विषय है। एनसीबी की नई पहल से उम्मीद है कि इस पर रोक लगेगी। लेकिन क्या सिर्फ कानून ही काफी है? अपनी राय कमेंट में बताएँ।