
बरेली, उत्तर प्रदेश –
शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले कॉलेजों में आजकल सुरक्षा और अनुशासन की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। ताज़ा मामला बरेली कॉलेज का है, जहां एक बीबीए के छात्र ने नकल से रोके जाने पर कक्ष निरीक्षक शिक्षक को खुलेआम जान से मारने की धमकी दे दी। यह घटना न केवल शिक्षा जगत को शर्मसार करती है, बल्कि कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करती है।
क्या है पूरा मामला?
तीन दिन पहले आरबीएमआई कॉलेज का एक छात्र बरेली कॉलेज में बीबीए की परीक्षा देने पहुंचा था। जब वह नकल करते हुए पकड़ा गया, तो कक्ष निरीक्षक ने उसे रोका। छात्र ने तुरंत धमकी दी —
“अब तक चार कत्ल किए हैं, अगर नकल से रोका तो पांचवां भी कर दूंगा। अंजाम देखना है तो कॉलेज के बाहर आओ।”
इस धमकी से पीड़ित शिक्षक हतप्रभ रह गए और उन्होंने तत्काल चीफ प्रॉक्टर प्रो. आलोक खरे को फोन और व्हाट्सएप के जरिए जानकारी दी। उन्होंने छात्र का फोटो, रोल नंबर और पूरी जानकारी भी साझा की, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीन दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रशासन की चुप्पी और शिक्षक संघ की नाराज़गी
जब पीड़ित शिक्षक ने सुरक्षा की दृष्टि से परीक्षा ड्यूटी पर एक और कक्ष निरीक्षक की मांग की, तो परीक्षा ड्यूटी लगा रहे एक अस्थायी कर्मचारी ने उन्हें अकेले ड्यूटी करने का दबाव डाला। इससे परेशान होकर शिक्षक ने शिक्षक संघ से मदद मांगी।
शिक्षक संघ के महामंत्री प्रो. वीपी सिंह ने न केवल कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. पंपा गौतम को पूरे मामले से अवगत कराया, बल्कि चीफ प्रॉक्टर के व्यवहार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अब कॉलेज में परीक्षा ड्यूटी की जानकारी देर रात व्हाट्सएप से दी जा रही है, परीक्षा समिति की कोई बैठक नहीं हो रही, और अस्थायी कर्मचारी स्थायी शिक्षकों को आदेश दे रहे हैं — जो कि पूरी तरह से अनुचित है।
शिक्षक संघ का ऐलान
शिक्षक संघ ने ऐलान किया है कि:
“जब तक शिक्षकों के उत्पीड़न और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, कोई स्थायी शिक्षक परीक्षा ड्यूटी नहीं करेगा।”
चीफ प्रॉक्टर की सफाई
प्रो. आलोक खरे ने सफाई दी कि सूचना मिलने पर उन्होंने प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम भेजी थी, लेकिन छात्र तब तक परिसर से जा चुका था। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कार्रवाई तभी हो सकती है जब शिक्षक लिखित शिकायत दर्ज कराएं।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
- यह घटना शिक्षकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है।
- कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता उजागर होती है।
- अस्थायी कर्मचारियों द्वारा स्थायी शिक्षकों पर दबाव बनाना शिक्षा व्यवस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
- छात्रों में अनुशासन की भारी कमी दिखाई दे रही है।
निष्कर्ष
बरेली कॉलेज की यह घटना शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यदि शिक्षकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित नहीं किया गया, तो यह न केवल शिक्षण कार्य को प्रभावित करेगा, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य पर भी नकारात्मक असर डालेगा। ज़रूरत है कि प्रशासन त्वरित और सख्त कार्रवाई करे, ताकि कॉलेजों में फिर से अनुशासन और सुरक्षा का माहौल बन सके।