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पीलीभीत में बाघ का हमला: गन्ने के खेत में काम कर रही महिला की मौत, 12 दिन में तीसरी घटना

पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 26 मई 2025पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास स्थित खिरकिया बरगदिया गांव में रविवार को एक बाघ ने खेत में काम कर रही महिला पर हमला कर दिया। इस हमले में 55 वर्षीय महिला लौंग देवी की मौके पर ही मौत हो गई। यह पिछले 12 दिनों में तीसरी मौत है, जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत फैल गई है।

घटना का विवरण: जंगल से सौ मीटर दूर खेत में हुआ हमला

रविवार दोपहर करीब 3 बजे लौंग देवी अपने पति रामायण के साथ खेत में गन्ने की निराई कर रही थीं। पति खाना लाने घर गए थे, इसी दौरान हरीपुर रेंज के जंगल से निकले बाघ ने महिला पर हमला कर दिया और शव को 20 मीटर दूर झाड़ियों में घसीट कर ले गया।

शव मिलने के बाद गांव में हड़कंप

खेत में काम कर रहे अन्य ग्रामीणों और लौंग देवी के पति ने तलाश की, तो कुछ ही दूरी पर महिला का रक्तरंजित शव मिला। शोर मचाने पर आसपास के ग्रामीण इकट्ठा हो गए, जिससे बाघ मौके से भाग निकला।

वन विभाग की देरी से ग्रामीण नाराज

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग को बुलाया गया, लेकिन विभाग की टीम दो घंटे देरी से पहुंची। इससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। तीन घंटे बाद हरिपुर रेंज के रेंजर सहीर अहमद मौके पर पहुंचे और कहा कि महिला की मौत किस वन्यजीव के हमले से हुई, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद की जाएगी।

12 दिन में तीसरी मौत, आदमखोर बाघ का आतंक

पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में आदमखोर बाघ का डर लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते 12 दिनों में यह तीसरी घटना है जब किसी ग्रामीण की जान गई है। इन हमलों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जिलाधिकारी पहुंचे गांव, मुआवजे और फेंसिंग के निर्देश

घटना की सूचना पर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया और वन विभाग को जंगल सीमा पर तारबंदी करने के निर्देश दिए।

ग्रामीणों की मांग: खेतों में सुरक्षा की ठोस व्यवस्था हो

ग्रामीणों का कहना है कि बाघों का खुलेआम खेतों तक आना अब आम हो गया है। वे वन विभाग से रात-दिन गश्त, सीसीटीवी निगरानी और बाड़बंदी जैसे पुख्ता इंतजाम की मांग कर रहे हैं।


निष्कर्ष

पीलीभीत के गांवों में बाघ के हमलों की बढ़ती घटनाएं न केवल चिंता का विषय हैं, बल्कि यह ग्रामीणों की सुरक्षा और वन विभाग की तैयारी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। जब तक जंगल और इंसान के बीच की सीमाएं स्पष्ट नहीं की जाएंगी, तब तक ऐसे हादसे रुकने की उम्मीद नहीं की जा सकती।