CRPF जवान मुनीर अहमद को पाकिस्तानी महिला से निकाह के बाद बर्खास्त किया गया, अब PM मोदी से लगाई गुहार


नई दिल्ली:
सीआरपीएफ (CRPF) के जवान मुनीर अहमद को पाकिस्तानी नागरिक मीनल से शादी करने के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। मुनीर का कहना है कि उन्होंने सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की थीं और विभाग को समय रहते जानकारी दी थी। अब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की अपील की है।

मुनीर ने बचपन में तय निकाह किया, विभाग को दी थी जानकारी

मुनीर अहमद ने बताया कि मीनल उनके मामू की बेटी हैं और उनका निकाह बचपन में ही तय कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2022 में ही उन्होंने सीआरपीएफ को शादी की जानकारी दी और NOC के लिए आवेदन किया। उनके मुताबिक, सभी आपत्तियों को स्पष्ट कर के दस्तावेज DIG, IG और CRPF निदेशालय तक भेजे गए।

वीजा और एलटीवी प्रक्रिया का पालन

2024 में ऑनलाइन निकाह के बाद मीनल को 28 फरवरी 2025 को 15 दिन का विजिट वीजा मिला और वह भारत आईं। इसके बाद मुनीर ने 4 मार्च को LTV (लॉन्ग टर्म वीजा) के लिए आवेदन किया, जिसकी प्रक्रिया 13 मार्च तक पूरी हो गई। मीनल और मुनीर का इंटरव्यू भी हुआ और सभी दस्तावेज विभाग को सौंपे गए।

पहलगाम हमले के बाद बढ़ी परेशानी

22 मार्च को पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने पाकिस्तानी वीजा धारकों को वापस भेजने का आदेश दिया। हालांकि यह नियम LTV वीजा धारकों पर लागू नहीं था, फिर भी मीनल को एग्जिट परमिट भेजा गया।

कोर्ट से मिली राहत, फिर भी नौकरी गई

मुनीर ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में अपील की और कोर्ट ने मीनल को भारत में रहने की अनुमति दी। लेकिन इसके बावजूद उन्हें 3 मई को बर्खास्तगी का नोटिस दिया गया। नोटिस में कहा गया कि उन्होंने समय पर जानकारी नहीं दी।

मुनीर का सवाल: “जब नियमों का पालन किया तो सजा क्यों?”

मुनीर ने कहा, “मैंने भारत के लिए सेवा दी है, हर नियम का पालन किया है, फिर भी मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? मेरी पत्नी मीनल अब टूट चुकी हैं, वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहतीं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करता हूं और कड़े एक्शन का समर्थन करता हूं। मैं भी एक फौजी हूं, मुझे भी दर्द होता है।”

निष्कर्ष: देशभक्ति बनाम सिस्टम की सख्ती

CRPF जवान मुनीर अहमद का मामला अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। सवाल यह उठता है कि जब एक जवान ने सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की हैं, तो क्या बर्खास्तगी एक कठोर कदम नहीं है?


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