भाजपा नेता युनूस अहमद हत्याकांड: संपत्ति विवाद में दो भाइयों समेत तीन को आजीवन कारावास


बरेली, उत्तर प्रदेश: कोरोना लॉकडाउन के दौरान हुए एक सनसनीखेज हत्या मामले में न्यायालय ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के महानगर अध्यक्ष युनूस अहमद उर्फ डंपी की हत्या के दोषी पाए गए दो सगे भाइयों सिराजउद्दीन, इशामुद्दीन और उनके साथी आशिक को आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई है।

क्या था पूरा मामला?

14 अप्रैल 2020 को लॉकडाउन के बीच भाजपा नेता युनूस अहमद अपने घर एजाजनगर गौंटिया में रिश्तेदारों के साथ बैठे थे। तभी रिटायर्ड फौजी सिराजउद्दीन, उसका भाई इशामुद्दीन, आशिक और एक अज्ञात व्यक्ति हथियारों से लैस होकर वहां पहुंचे और भाजपा नेता पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। इस हमले में युनूस अहमद की मौके पर ही मौत हो गई।

हत्या का कारण संपत्ति विवाद बताया गया। यह मामला उस समय इलाके में चर्चा का विषय बन गया था।

पत्नी शहनाज की शिकायत बनी आधार

भाजपा नेता की पत्नी शहनाज ने बारादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद विवेचना कर पुलिस ने न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया।

कोर्ट ने सुनाया सख्त फैसला

मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 12 गवाहों के बयान कोर्ट में पेश किए, जिनमें वादी शहनाज का बयान सबसे महत्वपूर्ण रहा। अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार सिंह की अदालत ने तीनों आरोपियों को हत्या का दोषी पाते हुए कठोर आजीवन कारावास और 60-60 हजार रुपये जुर्माना लगाया।

इसके अलावा, आर्म्स एक्ट के तहत इशामुद्दीन को एक साल की अतिरिक्त कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, जबकि आशिक को भी एक साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।


निष्कर्ष: न्याय की जीत

यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था हत्या जैसे गंभीर अपराधों पर सख्त रुख अपनाती है। संपत्ति विवाद में हुई हत्या के इस मामले में न्यायालय का सख्त निर्णय पीड़ित परिवार को राहत और समाज को एक संदेश देता है कि कानून से बड़ा कोई नहीं।



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