
बदायूं में चिटफंड घोटाला: क्या हुआ?
बदायूं के मीरा सराय रोड स्थित एक चिटफंड कंपनी पर गुरुवार को ग्राहकों ने जमापूंजी हड़पने का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। लोग कंपनी के ऑफिस पहुंचे, लेकिन भुगतान न मिलने से गुस्सा भड़क उठा। नाराज ग्राहकों ने ऑफिस से कंप्यूटर और अन्य सामान उठा लिया।
पुलिस ने हालात काबू में करने की कोशिश की, लेकिन दो घंटे तक हंगामा चलता रहा। कंपनी के मालिक ने फोन पर मई तक भुगतान का आश्वासन दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
कैसे हुआ घोटाला?
- इस कंपनी की मुख्य शाखा बरेली में थी, और बदायूं में यह पिछले 10 सालों से सक्रिय थी।
- जिलेभर में इसके 80 से ज्यादा एजेंट थे, जो लोगों को आरडी (Recurring Deposit) और एफडी (Fixed Deposit) स्कीम में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे।
- शुरुआत में यह कंपनी समय पर भुगतान कर रही थी, जिससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ता गया।
- लेकिन कुछ महीनों से कंपनी ने भुगतान में देरी शुरू कर दी और अब ऑफिस बंद कर दिया गया।
फर्जी चिटफंड कंपनियों का जाल कैसे काम करता है?
- लुभावने वादे: ये कंपनियां सामान्य बैंकों से ज्यादा ब्याज दर देने का दावा करती हैं।
- एजेंट नेटवर्क: बड़े स्तर पर एजेंट बनाए जाते हैं, जो जान-पहचान के लोगों को जोड़ते हैं।
- शुरुआत में भरोसा जमाना: शुरू में कुछ निवेशकों को समय पर पैसे देकर भरोसा जीत लिया जाता है।
- फंड कलेक्शन और भाग जाना: जब मोटी रकम इकट्ठा हो जाती है, तो कंपनी मालिक गायब हो जाते हैं या भुगतान में देरी करने लगते हैं।
कैसे बचें चिटफंड घोटाले से?
✅ आरबीआई या सेबी से मान्यता प्राप्त कंपनियों में ही निवेश करें।
✅ अगर कोई स्कीम बहुत ज्यादा रिटर्न का वादा कर रही है, तो सतर्क हो जाएं।
✅ किसी भी निवेश योजना की पूरी जानकारी लें और कानूनी दस्तावेज पढ़ें।
✅ अगर संदेह हो, तो तुरंत पुलिस या आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से संपर्क करें।
क्या सरकार को और सख्त होना चाहिए?
ऐसे घोटाले आम जनता की मेहनत की कमाई को लूटने का जरिया बन चुके हैं। जरूरत है कि सरकार चिटफंड कंपनियों पर सख्त कानून लागू करे और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई हो।
आपकी राय क्या है?
क्या आपने भी किसी चिटफंड स्कीम में पैसा लगाया है? आपका अनुभव कैसा रहा? कमेंट में अपनी राय दें और इस जानकारी को शेयर करें ताकि और लोग सतर्क रह सकें!