भारत में प्रॉपर्टी अमेरिका-यूरोप से भी महंगी, जबकि कमाई में हम कुछ नहीं!

“मैं तो अपना पैसा भारतीय रियल एस्टेट में नहीं लगाऊंगा, सिवाय रहने के लिए एक घर के!”

यह बयान है योगेन शाह का, जो पेट्रोफैक के सप्लाई चेन डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि भारत में प्रॉपर्टी की कीमतें जिस तेजी से बढ़ रही हैं, वह किसी भी आर्थिक तर्क से परे है। उन्होंने इसकी तुलना शेयर बाजार से की और कहा कि जहां स्टॉक्स की कीमत किसी कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, वहीं रियल एस्टेट में हालात बिल्कुल अलग हैं। भले ही शहरों में हवा खराब हो, पानी की किल्लत हो, ट्रैफिक से लोग परेशान हों—फिर भी घरों के दाम घटने का नाम नहीं लेते। उल्टा, जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती है, वैसे-वैसे दाम भी बढ़ते हैं!

भारत में प्रॉपर्टी के दाम अमेरिका से भी ज्यादा!

शाह ने आर्थिक आंकड़ों के साथ यह साबित करने की कोशिश की कि भारत में प्रॉपर्टी का बाजार अजीबोगरीब स्थिति में है।

  • अमेरिका की जीडीपी 27 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि भारत की सिर्फ 4 ट्रिलियन डॉलर
  • वहां प्रति व्यक्ति आय 60,000 डॉलर सालाना है, जबकि भारत में यह केवल 2,500 डॉलर
  • इसके बावजूद, भारत में घरों की कीमतें अमेरिका और यूरोप के मुकाबले ज्यादा हैं!

मुंबई में 1,100 स्क्वायर फीट का फ्लैट—3.5 करोड़!

शाह ने एक दोस्त का उदाहरण दिया, जिसने मुंबई के एक उपनगर में 1,100 वर्ग फीट का तीन कमरों का फ्लैट 3.5 करोड़ रुपये में खरीदा। सवाल यह है कि इतनी छोटी जगह में तीन कमरे कैसे समा सकते हैं? उन्होंने इस स्थिति को “अनियंत्रित महंगाई” करार दिया और इसके लिए भ्रष्टाचार और काले धन को दोषी ठहराया।

काले धन का खेल—बैंक में 50,000 निकालना मुश्किल, लेकिन करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीद लो!

शाह ने बताया कि भारत में रियल एस्टेट मार्केट में पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं बची

  • बैंक से 50,000 रुपये निकालते समय सवाल-जवाब होते हैं, लेकिन करोड़ों की प्रॉपर्टी बिना किसी सख्त जांच के खरीदी-बेची जाती है।
  • लोग उनके नाम पर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, जो कमाते भी नहीं!

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

शाह की इस राय से कई लोग सहमत हैं। सोशल मीडिया पर लोग रियल एस्टेट की बेतहाशा महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भारत में एक मिडिल क्लास फैमिली के लिए घर खरीदना अब एक सपना बन गया है

तो क्या करें?

शाह का कहना है कि जब तक इस बाजार में पारदर्शिता नहीं आती, वह रियल एस्टेट में निवेश नहीं करेंगे—सिवाय अपने रहने के लिए एक घर के। सवाल यह है कि आप क्या करेंगे?

क्या भारत में प्रॉपर्टी की कीमतें इस तरह ही बढ़ती रहेंगी? क्या काले धन का प्रभाव कभी खत्म होगा? आपकी राय क्या है?

….copied

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