गोरखपुर: ग्रीन एनर्जी और एथेनॉल उत्पादन का उभरता हब

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर, अब ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच और राज्य सरकार की निवेश प्रोत्साहन नीति के चलते गोरखपुर एथेनॉल उत्पादन का हब बनने की राह पर है। आइए जानते हैं कि कैसे यह शहर जैव ईंधन (बायो फ्यूल) के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है और इसके पीछे क्या योजनाएं काम कर रही हैं।

गोरखपुर में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के सेक्टर 26 में मेसर्स केयान डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा स्थापित 1200 करोड़ रुपये की लागत वाला एथेनॉल प्लांट तैयार हो चुका है। इस प्लांट का शिलान्यास 12 अगस्त 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था, और अब 6 अप्रैल 2025 को इसका उद्घाटन भी उनके हाथों होने जा रहा है। यह प्लांट अनाज (चावल और मक्का) आधारित एथेनॉल का उत्पादन कर रहा है। पहले चरण में इसकी क्षमता 3 लाख लीटर प्रतिदिन है, जो तीन चरणों में विस्तार के बाद 10 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी।

केयान डिस्टिलरी के प्रबंध निदेशक विनय सिंह के अनुसार, इस प्लांट ने इंडियन ऑयल के साथ एमओयू के तहत एथेनॉल की आपूर्ति शुरू कर दी है। साथ ही, इस परियोजना ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 4000 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। यह गोरखपुर के आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा कदम है।

पिपराइच चीनी मिल में एथेनॉल उत्पादन की तैयारी

योगी सरकार की पहल पर पिपराइच चीनी मिल में भी एथेनॉल उत्पादन की योजना है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस प्लांट की क्षमता 60 हजार लीटर प्रतिदिन होगी और यह गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल का उत्पादन करेगा। इससे न केवल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान भी सुनिश्चित होगा।

धुरियापार में बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स

गोरखपुर के धुरियापार में इंडियन ऑयल के बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स की परियोजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है। पहले चरण में 165 करोड़ रुपये की लागत से कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट शुरू हो चुका है। दूसरे चरण में इस परियोजना के तहत एथेनॉल उत्पादन की शुरुआत होगी। यह परियोजना गोरखपुर को जैव ईंधन उत्पादन में और मजबूत बनाएगी।

गोरखपुर क्यों बन रहा है एथेनॉल हब?

  • सरकारी नीतियां: योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार बायो फ्यूल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एथेनॉल को पर्यावरण के अनुकूल और किफायती ईंधन विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • तीन बड़े प्लांट: गोरखपुर में एक साथ तीन स्थानों (गीडा, पिपराइच, और धुरियापार) पर एथेनॉल उत्पादन की शुरुआत इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश का एथेनॉल हब बना रही है।
  • आर्थिक लाभ: इन परियोजनाओं से रोजगार सृजन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।
  • किसानों के लिए फायदा: गन्ना और अनाज आधारित एथेनॉल उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि होगी।

उत्तर प्रदेश: देश का नंबर वन एथेनॉल उत्पादक राज्य

योगी सरकार की नीतियों के चलते उत्तर प्रदेश पहले ही देश का अग्रणी एथेनॉल उत्पादक राज्य बन चुका है। गोरखपुर में शुरू हो रहे इन प्रोजेक्ट्स से यह स्थिति और मजबूत होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा गोरखपुर को ग्रीन एनर्जी के नए केंद्र के रूप में स्थापित करने की है, और यह सपना अब हकीकत में बदलता दिख रहा है।

निष्कर्ष

गोरखपुर का ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में यह उभार न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का भी प्रतीक है। आने वाले दिनों में गोरखपुर न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एथेनॉल उत्पादन का एक मॉडल बन सकता है। अगर आप ग्रीन एनर्जी और बायो फ्यूल के भविष्य में रुचि रखते हैं, तो गोरखपुर की यह प्रगति आपके लिए एक प्रेरणा हो सकती है।

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