नाबार्ड का 44वाँ स्थापना दिवस: उत्तराखंड के ग्रामीण विकास में नए प्रयास

राजकुमार केसरवानी, देहरादून

देहरादून, 12 जुलाई 2025 – राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने आज अपना 44वाँ स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर उत्तराखंड के क्षेत्रीय कार्यालय, सहस्त्रधारा स्थित आईटी पार्क में एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें राज्य सरकार के मंत्रियों, बैंक अधिकारियों और ग्रामीण उद्यमियों ने भाग लिया।

महत्वपूर्ण बिंदु:

✔️ सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता
✔️ स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और FPOs के उत्पादों की हुई सराहना
✔️ किसानों की घटती संख्या पर जताई गई चिंता
✔️ उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली 4 PACS और 3 सहकारी बैंकों को मिला सम्मान
✔️ “समावेशी विकास के लिए ग्रामीण उद्यमिता” पर हुई पैनल चर्चा

ग्रामीण विकास में नाबार्ड का योगदान

कार्यक्रम में नाबार्ड के महाप्रबंधक श्री शशि कुमार ने संस्था की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे नाबार्ड ने पिछले चार दशकों में कृषि एवं ग्रामीण विकास को नई दिशा दी है। उन्होंने उत्तराखंड में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

किसानों की घटती संख्या: एक चुनौती

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि “उत्तराखंड और पूरे देश में किसानों की संख्या लगातार कम हो रही है, जो एक गंभीर समस्या है। इसे रोकने के लिए नाबार्ड और सरकार को मिलकर काम करना होगा।” उन्होंने सहकारिता क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए 33% आरक्षण की घोषणा की सराहना की।

उत्कृष्ट संस्थाओं को मिला सम्मान

इस अवसर पर राज्य की चार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और तीन जिला सहकारी बैंकों को उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया। इनमें मोटाहल्दू एम-पैक्स (नैनीताल), सेमंडीधार एम-पैक्स (टिहरी), सहसपुर एम-पैक्स (देहरादून) और नाई एम-पैक्स (नैनीताल) शामिल थे।

निष्कर्ष

नाबार्ड के 44वें स्थापना दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम ने ग्रामीण विकास, कृषि और सहकारिता के क्षेत्र में नए लक्ष्य तय किए। नाबार्ड के प्रयासों से उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में भी आर्थिक सशक्तिकरण की नई संभावनाएँ उजागर हुई हैं।


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