
✍️हिंदी पत्रकारिता दिवस: जब कलम बनी हथियार, और हिल गई थी ब्रिटिश हुकूमत
डी पी मिश्रा की कलम से
📅 30 मई: हिंदी पत्रकारिता का इतिहास बदलने वाला दिन
हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। इस दिन, 1826 में, भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र ‘उदंत मार्तंड’ कोलकाता से प्रकाशित हुआ था। इसके संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे, जो कानपुर के निवासी थे। यही दिन हिंदी पत्रकारिता की आधिकारिक शुरुआत माना जाता है।
🗞️ उदंत मार्तंड से शुरू हुआ एक महान सफर
‘उदंत मार्तंड’ का उद्देश्य था – हिंदी भाषी जनता तक समाचार पहुंचाना। उस समय अधिकांश अखबार अंग्रेज़ी या फारसी में हुआ करते थे। ‘उदंत मार्तंड’ ने पहली बार हिंदी भाषियों को एक मंच दिया, जिससे वे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक खबरों से जुड़ सके।
🔥 जब पत्रकारिता बनी क्रांति की मशाल
गणेश शंकर विद्यार्थी ने पत्रकारिता को स्वतंत्रता संग्राम का हथियार बना दिया। उन्होंने 1913 में कानपुर से ‘प्रताप’ अखबार की शुरुआत की। सिर्फ 400 रुपये की पूंजी और 4 रुपये किराये के मकान से निकला यह अखबार धीरे-धीरे अंग्रेजी हुकूमत की नींदें उड़ाने लगा।
प्रताप अखबार के पीछे थे ये नाम:
- गणेश शंकर विद्यार्थी
- शिव नारायण मिश्र
- नारायण प्रसाद अरोड़ा
- यशोदा नंदन (प्रेस मालिक)
‘प्रताप’ से जुड़कर कई क्रांतिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए और जनमानस को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया।
🖋️ कानपुर: संपादकों की टकसाल
कानपुर को “संपादकों की टकसाल” कहा जाता है क्योंकि यहां से निकले पत्रकारों ने देशभर में हिंदी पत्रकारिता को दिशा दी। कुछ प्रमुख नाम:
- गणेश शंकर विद्यार्थी
- श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
- बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
- महावीर प्रसाद द्विवेदी
- हसरत मोहानी
- रमा शंकर अवस्थी
🚫 जब अंग्रेजों ने जब्त किए थे अखबार
अंग्रेजी हुकूमत ने कई हिंदी पत्र-पत्रिकाओं को जेल, जब्ती और जुर्माने का सामना करवाया। कुछ प्रमुख नाम:
- भयंकर
- चंद्रहास
- अछूत सेवक
- चित्रकूट आश्रम
- लाल झंडा
- वनस्पति
- मजदूर
इन पत्रों ने गरीबों, मजदूरों और दलितों की आवाज को बुलंद किया और इसके बदले अंग्रेजी सत्ता ने उन्हें बंद करने की कोशिश की।
🧭 राजा राममोहन राय और भारतीय पत्रकारिता की शुरुआत
हालांकि हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत 1826 में मानी जाती है, लेकिन भारतीय पत्रकारिता की नींव राजा राममोहन राय ने रखी थी। उन्होंने 1816 में ‘बंगाल गजट’ की शुरुआत की थी, जो भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाला पहला अखबार माना जाता है।
🧠 गणेश शंकर विद्यार्थी का विचार
“मैं पत्रकार को सत्य का प्रहरी मानता हूं, सत्य को प्रकाशित करने के लिए वह मोमबत्ती की तरह जलता है। सत्य के साथ उसका वही नाता है, जो एक पतिव्रता नारी का अपने पति के साथ रहता है।”
📚 20वीं शताब्दी के प्रमुख हिंदी अखबार
बीसवीं सदी में कई प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र सामने आए, जैसे:
- हिंदुस्तान
- भारतमित्र
- आज
- नवभारत टाइम्स
- नई दुनिया
- जागरण
- अमर उजाला
- पंजाब केसरी
🔍 निष्कर्ष: कलम की ताकत ने बदली भारत की तस्वीर
हिंदी पत्रकारिता सिर्फ समाचार देने का माध्यम नहीं रही, बल्कि यह एक आंदोलन, एक क्रांति, और जन-जागरण का सबसे बड़ा साधन बनी। 30 मई सिर्फ एक तिथि नहीं है, यह उन कलम के सिपाहियों की याद दिलाती है जिन्होंने अपनी लेखनी से ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया।