बरेली में नाला सफाई अभियान विवादों में, सिल्ट से सड़कें जाम, नगरायुक्त ने ठेकेदारों को दी चेतावनी

बरेली। मानसून से पहले नगर निगम द्वारा चलाया जा रहा नाला सफाई अभियान अब जनता के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। सफाई के नाम पर नालों से निकाली गई गाद (सिल्ट) को सड़क किनारे छोड़ दिया गया है, जिससे सड़कों पर कीचड़, बदबू और ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो रही है।

सत्यापन में सामने आई लापरवाही

नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने खुद मौके पर जाकर सत्यापन किया और पाया कि अधिकांश जगहों पर सिल्ट उठाने का काम अधूरा है। उन्होंने ठेकेदारों को निर्देश दिए थे कि सफाई के तुरंत बाद सिल्ट उठाई जाए, लेकिन निर्देशों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।

“लापरवाह ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।” – नगरायुक्त संजीव मौर्य

सिल्ट से हादसे और बीमारियों का खतरा

सड़कों पर फैली गाद के कारण राहगीरों का चलना मुश्किल हो गया है। बारिश के दौरान यही सिल्ट फिर से नालों में जाकर जलभराव का कारण बनती है। दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग ने भी गंदगी को लेकर संक्रमण और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलाव की आशंका जताई है।

करोड़ों खर्च, फिर भी नतीजा शून्य

नगर निगम के मुताबिक:

  • निर्माण विभाग: ₹2.5 करोड़
  • स्वास्थ्य विभाग: ₹2.25 करोड़
  • कुल खर्च: ₹4.75 करोड़

हर साल की तरह इस बार भी भारी बजट खर्च किया गया है, लेकिन मौके पर काम का कोई असर नहीं दिख रहा

20 जून तक सफाई पूरी करने का लक्ष्य

नगर निगम ने प्रमुख नालों की तल्लीझाड़ सफाई 20 जून 2025 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन मई के अंत तक भी ज्यादातर इलाकों में हालात जस के तस बने हुए हैं।


निष्कर्ष

बरेली में नाला सफाई अभियान का उद्देश्य मानसून से पहले शहर को जलभराव से बचाना था, लेकिन लापरवाह ठेकेदारों और निगम अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह अभियान खुद एक बड़ी चुनौती बन गया है। नगर आयुक्त की सख्ती के बाद अब देखना होगा कि हालात सुधरते हैं या नहीं।



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