
बरेली (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक बेहद दर्दनाक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एक सब्जी विक्रेता की जान चली गई। पीड़ित की पहचान सुनील कुमार प्रजापति के रूप में हुई है, जिनकी मौत ट्रैक्टर-ट्राली से डाली गई सिल्ट (कीचड़) के नीचे दबने से हुई। पुलिस ने मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए ठेकेदार नईम शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया है।
क्या हुआ था हादसे के दिन?
घटना बरेली के थाना बारादरी क्षेत्र की है, जहां सुनील कुमार, निवासी मौर्य शांति नगर, पेड़ की छांव में सो रहे थे। तभी नगर निगम के कर्मचारी ट्रैक्टर-ट्राली में नाली की सिल्ट भरकर लाए और सुनील के ऊपर ही उड़ेल दी। सुनील की दम घुटने से मौके पर ही मौत हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, सुनील के गले और नाक तक सिल्ट भरी हुई थी जिससे पुष्टि होती है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई।
परिवार का आरोप और FIR
मृतक के पिता गिरवर सिंह प्रजापति ने नगर निगम के ठेकेदार नईम शास्त्री और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यह स्पष्ट रूप से लापरवाही का मामला है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस की कार्रवाई: CCTV फुटेज बना सबूत
- बारादरी पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली।
- इसमें तीन ट्रैक्टर-ट्राली और एक जेसीबी मौके पर सिल्ट गिराते नजर आए।
- पुलिस ने दो ट्रैक्टर और एक जेसीबी जब्त कर ली है।
- ठेकेदार नईम शास्त्री उर्फ नईमुद्दीन, निवासी इस्लामनगर, गिरफ्तार कर लिया गया है।
ठेकेदार ने क्या कहा?
गिरफ्तारी के बाद नईम शास्त्री ने पुलिस के सामने कहा –
“क्या करें, किस्मत खराब है, जो यह दिन देखना पड़ा।”
हालांकि पुलिस इसे महज एक बहाना मान रही है और गहन पूछताछ जारी है ताकि लापरवाह सफाई कर्मचारियों की पहचान की जा सके।
सवाल उठते हैं…
- क्या नगर निगम के सफाई अभियानों की कोई निगरानी नहीं होती?
- बिना देखे-सोचे सिल्ट गिरा देना क्या मानवीयता के खिलाफ नहीं?
- क्या ऐसे मामलों में सिर्फ ठेकेदार की गिरफ्तारी ही काफी है?
निष्कर्ष: इंसाफ की आस
सुनील कुमार की मौत ने नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक मेहनतकश सब्जी विक्रेता की जान सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि कुछ कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। अब देखना यह है कि प्रशासन दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई करता है और पीड़ित परिवार को कितना न्याय दिलाया जाता है।