पीलीभीत में बाघ का कहर: पांच दिन में दूसरा हमला, किसान की दर्दनाक मौत


पीलीभीत के चतीपुर गांव में बाघ ने खेत में सिंचाई कर रहे किसान पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया। पांच दिन में यह दूसरा हमला है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।


पीलीभीत में फिर बाघ का हमला, खेत में काम कर रहे किसान को बनाया निवाला

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बाघ के हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला पूरनपुर तहसील के चतीपुर गांव के पास का है, जहां रविवार शाम गन्ने के खेत में सिंचाई कर रहे किसान राम प्रसाद को बाघ ने हमला कर मार डाला। यह घटना इलाके में पांच दिन में दूसरी मौत है, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया है।


कैसे हुआ हमला?

45 वर्षीय राम प्रसाद, हरिपुर किशनपुर नहर के पास अपने खेत में सिंचाई कर रहे थे, तभी पास के जंगल से अचानक एक बाघ झाड़ियों से निकलकर उन पर टूट पड़ा। बाघ उन्हें घसीटकर ले जाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ग्रामीणों के शोर मचाने और ट्रैक्टर से पीछा करने पर वह शव छोड़कर जंगल की ओर भाग गया।

ग्रामीणों ने खून से लथपथ राम प्रसाद का शव खेत में पड़ा पाया, जिसके सिर, गर्दन और शरीर पर गहरे घाव थे।


वन विभाग की लापरवाही पर सवाल

ग्रामीणों के अनुसार, घटना की जानकारी देने के तीन घंटे बाद भी खुटार रेंज की वन विभाग टीम मौके पर नहीं पहुंची। इससे नाराज लोगों ने जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह भीड़ को शांत कराया।

हरीपुर रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारी शहीर अहमद ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही टीम भेज दी गई थी, लेकिन यह घटना खुटार रेंज क्षेत्र में हुई है।


इससे पहले भी हुई थी मौत

14 मई को भी इसी क्षेत्र के नजीरगंज गांव में सिंचाई कर रहे एक किसान पर बाघ ने हमला कर दिया था, जिससे उसकी भी मौत हो गई थी। ऐसे में अब पांच दिन के भीतर दो ग्रामीणों की बाघ हमले में मौत हो चुकी है, जिससे ग्रामीणों में डर और गुस्सा दोनों बढ़ते जा रहे हैं।


क्या चाहते हैं ग्रामीण?

  • बाघ को पकड़ने के लिए फौरन कार्रवाई हो
  • क्षेत्र में वन विभाग की सक्रियता बढ़े
  • खेतों के पास सुरक्षा इंतजाम किए जाएं
  • पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए

निष्कर्ष

पीलीभीत जैसे वन क्षेत्र से सटे इलाकों में रहने वाले किसानों की जान हर दिन खतरे में है। सरकार और वन विभाग को चाहिए कि समय रहते उचित कदम उठाएं, ताकि ग्रामीण सुरक्षित रह सकें और बाघों के संरक्षण के साथ-साथ इंसानी जीवन की रक्षा भी हो सके।



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