नेजा मेला विवाद: सदियों पुरानी परंपरा बनाम प्रशासनिक सख्ती

नेजा मेला, जो मुरादाबाद के थांवला गाँव में सदियों से आयोजित होता आ रहा है, अब विवादों में घिर गया है। हिंदू संगठनों के विरोध और प्रशासनिक सख्ती के चलते इस ऐतिहासिक मेले के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। जहां ग्रामीण इस मेले को अपनी सांस्कृतिक विरासत और आपसी सौहार्द का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ संगठन इसे इतिहास से जोड़कर आपत्ति जता रहे हैं

नेजा मेला: एक ऐतिहासिक परंपरा

थांवला गाँव में यह मेला होली के बाद सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह 116-17 सालों से नहीं बल्कि 1000 साल से भी अधिक समय से आयोजित होता आ रहा है। इस मेले में आसपास के 16-17 गाँवों के हिंदू और मुस्लिम समुदायों की समान भागीदारी रहती है।

  • इस मेले में खेल-तमाशे, झूले, खाने-पीने की दुकानें और अन्य मनोरंजन साधन होते हैं।
  • स्थानीय किसान अपने खेतों की जमीन इस मेले के लिए अस्थायी रूप से उपलब्ध कराते हैं।
  • गाँव के प्रधान और ग्रामीण मिलकर मेले के आयोजन की व्यवस्थाएं संभालते हैं।

विवाद क्यों उठा?

हाल ही में, हिंदू संगठनों ने सैय्यद सालार मसूद गाजी को आक्रांता बताते हुए मेले पर रोक लगाने की मांग की है। इन संगठनों का कहना है कि इतिहास में दर्ज आक्रांताओं के नाम पर कोई आयोजन नहीं होना चाहिए

  • संभल जिले में इस मेले पर पहले ही रोक लग चुकी है, जिससे अब मुरादाबाद के थांवला गाँव में भी विरोध शुरू हो गया है।
  • हिंदू संगठनों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर मेले को रद्द करने की मांग की
  • प्रशासन ने पुलिस और खुफिया विभाग (LIU) से रिपोर्ट मांगी है ताकि कोई कानून-व्यवस्था संबंधी समस्या न हो।

प्रशासन का पक्ष

बिलारी के एसडीएम विनय कुमार सिंह का कहना है कि –

  • “नेजा मेला पहले से लगता आ रहा है, लेकिन अभी तक कमेटी या ग्राम प्रधान की तरफ से कोई परमीशन आवेदन नहीं दिया गया।”
  • प्रशासन की मंजूरी मिलने के बाद ही मेला आयोजित किया जा सकता है

स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

थांवला के हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग इस मेले के समर्थन में हैं।
“जब मेला लगता है तो हमें खुशी होती है। हमारे घर मेहमान आते हैं और यह परंपरा बचपन से चली आ रही है।”

नेजा मेले का भविष्य: क्या होगा आगे?

अब सवाल उठता है कि क्या यह सदियों पुरानी परंपरा जारी रहेगी या प्रशासन इसे रोक देगा?

  • यदि ग्राम प्रधान और आयोजन समिति परमीशन के लिए आवेदन करती है, तो प्रशासन को कानूनी रूप से इसे अनुमति देनी होगी।
  • पुलिस रिपोर्ट और खुफिया विभाग की जांच के आधार पर ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
  • यदि हिंदू संगठनों का विरोध जारी रहा, तो संभल जिले की तरह मुरादाबाद में भी इस मेले पर रोक लग सकती है

निष्कर्ष

नेजा मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। इसे रोकना या जारी रखना प्रशासन और सरकार के फैसलों पर निर्भर करेगा। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि यह मामला सिर्फ एक मेले का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं, ऐतिहासिक दृष्टिकोण और प्रशासनिक निर्णयों के बीच संतुलन का भी है।

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