
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच हुए 2,100 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि एक संगठित शराब माफिया ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया और पैसे को काले धन में बदल दिया।
ईडी के अनुसार, इस घोटाले में फर्जी कंपनियों के जरिए अवैध कमीशन लिया गया, सरकारी शराब दुकानों में नकली होलोग्राम वाली शराब बेची गई और बड़ी रकम सिंडिकेट के जरिए नेताओं और अधिकारियों की जेब में गई।
इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है?
ईडी ने अब तक कई बड़े नामों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शामिल हैं:
- अनवर ढेबर – रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई
- अनिल टुटेजा – पूर्व आईएएस अधिकारी
- अरुणपति त्रिपाठी – भारतीय दूरसंचार सेवा (ITS) अधिकारी
- कवासी लखमा – पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता
अब तक ईडी इस मामले में 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है और जांच लगातार जारी है।
भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल पर क्यों हुई रेड?
ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कार्रवाई की। 11 मार्च 2024 को ईडी ने भिलाई में बघेल के आवास सहित 13 अन्य स्थानों पर छापेमारी की।
तलाशी में क्या मिला?
- 33 लाख रुपये नकद बरामद
- शराब घोटाले से जुड़े कुछ दस्तावेज जब्त
- बीजेपी नेताओं से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के कुछ कागजात
भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि भाजपा सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा:
“तीन साल से शराब घोटाले की जांच चल रही है, लेकिन अब तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई। मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैंने विधानसभा में सरकार से गरीबों के हक की बात की।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि ईडी को उनके घर से ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो भाजपा नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के प्रमाण हो सकते हैं।
ईडी की छापेमारी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध
ईडी रेड के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और ईडी अधिकारियों की गाड़ियों पर हमला भी किया। पुलिस ने इस घटना में शामिल सनी अग्रवाल और 15-20 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
भविष्य में क्या हो सकता है?
- चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी संभव है अगर ईडी को ठोस सबूत मिलते हैं।
- कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही है, जबकि बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कह रही है।
- इस घोटाले से जुड़े और कई बड़े नामों पर कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला राजनीति, भ्रष्टाचार और कानूनी लड़ाई का बड़ा मामला बन चुका है। यह घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ, लेकिन अब भाजपा सरकार सत्ता में है और केंद्रीय एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं।
क्या यह भ्रष्टाचार का खुलासा है या राजनीतिक बदले की कार्रवाई? यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
आपकी राय क्या है?
क्या यह ईडी की निष्पक्ष जांच है या विपक्ष को दबाने की रणनीति? कमेंट में अपनी राय जरूर दें!