
लेखक: तिलक राज अरोरा (राष्ट्रीय सचिव, कैट)

सुनील खत्री (प्रदेश प्रभारी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल)
प्रकाशन तिथि: 30 जून 2025
जीएसटी का 8वां साल: क्या पूरा हुआ “एक देश, एक टैक्स” का सपना?
8 साल पहले, 1 जुलाई 2017 को भारत में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य था – “एक देश, एक टैक्स” की अवधारणा को साकार करना। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ? आज, जीएसटी के 8 साल पूरे होने पर, हम व्यापारियों के नजरिए से समझते हैं कि उन्होंने इस कर व्यवस्था में क्या खोया और क्या पाया।
व्यापारियों ने जीएसटी में क्या खोया?
1. ट्रिब्यूनल का अभाव – करोड़ों रुपये फंसे
- राष्ट्रीय जीएसटी ट्रिब्यूनल का चेयरमैन तो नियुक्त हो चुका है, लेकिन कई राज्यों में अभी भी ट्रिब्यूनल स्थापित नहीं हुए हैं।
- इसके कारण, व्यापारियों के करोड़ों रुपये के मामले लंबित हैं और उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा।
2. धारा 129 का दुरुपयोग – माल जब्त, भारी जुर्माना
- छोटी-सी गलती पर भी व्यापारियों के माल से लदे वाहनों को जब्त कर लिया जाता है।
- सेंट्रलाइज्ड चेकिंग सिस्टम में वाहनों को रोककर भारी जुर्माना वसूला जाता है, जबकि पुराने पंजीकृत व्यापारियों पर भी अविश्वास किया जाता है।
3. धारा 73/74 का अन्याय – व्यापारी “फ्रॉड” घोषित
- सी-जीएसटी विभाग अक्सर धारा 74 का उपयोग करके व्यापारियों को “फ्रॉड” घोषित कर देता है।
- जबकि धारा 73 के तहत उन्हें राहत मिलनी चाहिए, लेकिन इसका लाभ नहीं दिया जाता।
4. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की समस्या
- धारा 16(2) के तहत, यदि विक्रेता व्यापारी टैक्स जमा नहीं करता है, तो खरीदार व्यापारी को ITC नहीं मिलता, भले ही उसने पूरा भुगतान किया हो।
- इससे ईमानदार व्यापारियों को भी नुकसान उठाना पड़ता है।
व्यापारियों ने जीएसटी में क्या पाया?
1. कुछ हद तक फार्मों के जंजाल से मुक्ति
- पहले अलग-अलग करों (VAT, Excise, Service Tax) के लिए अलग-अलग फार्म भरने पड़ते थे, लेकिन अब एक ही जीएसटी रिटर्न देना होता है।
2. लॉजिस्टिक्स और इंटरस्टेट ट्रेड में सुधार
- जीएसटी के बाद इंटरस्टेट ट्रेड आसान हुआ है, क्योंकि अब एक ही टैक्स सिस्टम पूरे देश में लागू है।
3. डिजिटल पेमेंट और ट्रांसपेरेंसी बढ़ी
- जीएसटी ने डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया है, क्योंकि अब ज्यादातर भुगतान और रिटर्न ऑनलाइन फाइल किए जाते हैं।
व्यापारियों की मुख्य मांगें – क्या बदलाव चाहिए?
- राज्य स्तर पर जीएसटी ट्रिब्यूनल की तुरंत स्थापना – लंबित मामलों का निपटारा जल्द हो।
- धारा 129 और 73/74 का दुरुपयोग रोका जाए – व्यापारियों को गलत तरीके से परेशान न किया जाए।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के नियमों में सुधार – खरीदार व्यापारी को ITC मिले, भले ही विक्रेता ने टैक्स न जमा किया हो।
- व्यापारियों के साथ विश्वासपूर्ण व्यवहार – उन्हें हमेशा संदिग्ध न माना जाए।
निष्कर्ष: क्या जीएसटी सफल हुआ?
जीएसटी ने कुछ सुविधाएं तो दी हैं, लेकिन अभी भी कई समस्याएं बनी हुई हैं। यदि सरकार जल्द ही व्यापारियों की शिकायतों को नहीं सुनती, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर हो सकते हैं।
“हम धोखा नहीं खाएंगे, हमारे अधिकार चाहिए!” – यह नारा जल्द ही पूरे देश में गूंज सकता है।